डेली संवाद, हनुमानगढ़। Hanumangarh Riot Farmers Set Vehicles On Fire Internet shut down: एथेनॉल फैक्ट्री के निर्माण को लेकर पिछले कई दिनों से जारी विरोध-प्रदर्शन अब हिंसक हो गया है। किसानों ने जबरदस्त पथराव किया, एक विधायक पर हमला कर दिया, जिससे वे घायल हो गए हैं। इसके साथ ही 14 गाड़ियों को फूंक दिया गया। पुलिस ने किसानों पर लाठी चार्ज किया, जिससे कई किसान घायल हो गए हैं।
राजस्थान (Rajasthan) में किसान पूरी तरह से भड़क गए हैं। भड़के किसानों ने जमकर बवाल किया और पथराव शुरू कर दिया। जिससे विधायक का सिर फूट गया। 14 गाड़ियां फूंक दी गई गई। पुलिस ने लाठीचार्ज कर के किसानों को खदेड़ा। इस दौरान जिला प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं।

हालात और बिगड़ने की आशंका
राजस्थान (Rajasthan) के हनुमानगढ़ (Hanumangarh) ज़िले के टिब्बी क्षेत्र में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। किसानों द्वारा किए जा रहा प्रदर्शन हिंसक हो गया। हिंसक घटनाक्रम के बाद क्षेत्र में तनाव गहरा गया है और आज हालात और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है। किसान संगठन और कांग्रेस नेताओं ने साफ चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, आंदोलन और तेज किया जाएगा।
गुरुवार सुबह से ही बड़ी संख्या में किसान टिब्बी के गुरुद्वारे में जुटने लगे हैं, जहां रातभर 100 से अधिक किसान रुके हुए थे। सुबह होते ही अन्य गांवों से भी किसानों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने आज भी टिब्बी क्षेत्र में इंटरनेट सेवाएं बंद रखी हैं। साथ ही स्कूल-कॉलेज बंद हैं, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति को रोका जा सके।
कैसे भड़की हिंसा?
बुधवार, 10 दिसंबर को विरोध-प्रदर्शन अचानक हिंसक हो गया। दोपहर में किसानों ने टिब्बी एसडीएम ऑफिस के बाहर एक बड़ी सभा की। शाम करीब चार बजे सैकड़ों की संख्या में किसान ट्रैक्टरों के साथ निर्माणाधीन ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री की साइट पर पहुंच गए।
यहां उन्होंने फैक्ट्री की बाहरी दीवार को गिरा दिया। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की तो दोनों पक्षों में जोरदार झड़पें हुईं। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इससे गुस्साए किसानों ने कई जगह आगजनी की और पत्थरबाजी की।

वाहनों को आग के हवाले कर दिया
देखते ही देखते हिंसा फैल गई और भीड़ ने 14 वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इस बवाल में कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया भी घायल हुए, जिनके सिर पर लाठीचार्ज में चोट आई है।
फैक्ट्री हटाओ संघर्ष समिति के नेता रवजोत सिंह के अनुसार, हिंसक झड़प में महिलाओं सहित करीब 70 लोग घायल हुए हैं। प्रशासन का कहना है कि कुल मिलाकर 50 से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
क्यों बढ़ा विवाद?
चकदड़ीगढ़ में रजिस्टर्ड ड्यून इथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड राठीखेड़ा गांव में 40 मेगावाट का अनाज-आधारित एथेनॉल प्लांट बना रही है। कंपनी का दावा है कि यह प्लांट केंद्र सरकार के एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम को मजबूत करेगा। लेकिन गांव के किसान इस परियोजना को लेकर शुरू से ही विरोध कर रहे हैं।
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किसानों का मुख्य आरोप है कि कंपनी को इस प्लांट के लिए आवश्यक पर्यावरण मंजूरी (Environmental Clearance) 2022 से आज तक नहीं मिली है, और बिना अनुमति के ही निर्माण कार्य किया जा रहा है।
किसानों का कहना है कि प्लांट से पर्यावरण को नुकसान होगा, भूजल स्तर गिरने का खतरा है और प्रदूषण बढ़ेगा। इसी कारण स्थानीय लोग इसके निर्माण का विरोध कर रहे हैं।
आज होगी महत्वपूर्ण बैठक
गुरुवार को दोपहर 12 बजे गुरुद्वारा सिंह सभा में किसानों की महत्वपूर्ण बैठक होगी, जिसमें आंदोलन की अगली रणनीति तय की जाएगी। संघर्ष समिति के नेताओं ने संकेत दिया है कि यदि प्रशासन और सरकार ने उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।
इधर, प्रशासन भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है। पुलिस फोर्स की तैनाती बढ़ा दी गई है और संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है। अधिकारियों के मुताबिक, शांति बहाली के लिए ग्रामीणों और किसान नेताओं से संवाद स्थापित करने की कोशिश की जा रही है।

कांग्रेस का समर्थन और राजनीतिक दबाव
कांग्रेस नेताओं ने हिंसा की निंदा करते हुए किसानों का खुला समर्थन किया है। विधायक अभिमन्यु पूनिया ने कहा कि सरकार को किसानों की पर्यावरण और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को गंभीरता से लेना चाहिए। उनके अनुसार, बिना मंजूरी के निर्माण करवाना न केवल अवैध है, बल्कि ग्रामीणों के स्वास्थ्य और खेती दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
आगे क्या?
फिलहाल टिब्बी क्षेत्र तनावग्रस्त है। इंटरनेट बंद होने से लोगों को संचार में दिक्कत आ रही है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक है। आज होने वाली किसान सभा के बाद आंदोलन की दिशा तय होगी।
ग्रामीणों में गुस्सा और आशंका दोनों बनी हुई है, जबकि प्रशासन शांति बनाए रखने की चुनौती से जूझ रहा है। स्थिति किस ओर जाएगी, यह किसानों और प्रशासन के बीच होने वाली आगे की बातचीत पर निर्भर करेगा। फिलहाल, एथेनॉल फैक्ट्री विवाद ने हनुमानगढ़ में एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा खड़ा कर दिया है।






