डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar Ed Arrests Abhishek Kumar Money Laundering Tramadol Alprazolam Case News: इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग और साइकोट्रॉपिक दवाओं की अवैध बिक्री से जुड़े एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए मेडिकल कारोबारी अभिषेक कुमार चौहान को गिरफ्तार किया है। उस पर आरोप है कि वह ट्रामाडोल और एल्प्राजोलम जैसी नशे में इस्तेमाल होने वाली दवाओं को बड़े पैमाने पर गैरकानूनी तरीके से बेचकर करोड़ों रुपए की अवैध कमाई कर रहा था।
ईडी की कार्रवाई से मेडिकल क्षेत्र में हलचल मच गई है। जालंधर (Jalandhar) में ईडी की गिरफ्तारी के बाद अभिषेक कुमार चौहान को मोहाली स्थित स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने उसे 6 दिन की ईडी कस्टडी में भेज दिया। ईडी का दावा है कि प्रारंभिक जांच में 3.75 करोड़ रुपए की गड़बड़ी और अवैध लेन-देन का पता चला है। जांच एजेंसी इस अवैध नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने के लिए पूछताछ में लगी है।

NDPS केस से शुरू हुई जांच
ईडी की कार्रवाई पंजाब पुलिस द्वारा NDPS एक्ट के तहत दर्ज एक मामले के आधार पर शुरू हुई। इस केस में इंटर-स्टेट स्तर पर ट्रामाडोल और एल्प्राजोलम जैसी साइकोट्रॉपिक दवाओं की सप्लाई और तस्करी के आरोप शामिल थे। पुलिस की प्राथमिक जांच में कई संदिग्ध लेन-देन और अवैध खरीद-बिक्री के संकेत मिले, जिसके बाद मामला ईडी को सौंपा गया।
जांच आगे बढ़ाते हुए ईडी ने अभिषेक कुमार चौहान और उसके करीबियों के 16 ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान एजेंसी को ऐसे कई दस्तावेज, बिल, रिकॉर्ड और डिजिटल डेटा मिला, जिससे पता चला कि आरोपी लंबे समय से दवा कंपनियों से बड़े पैमाने पर ट्रामाडोल और एल्प्राजोलम जैसी गोलियां मंगवा रहा था।
फार्मा कंपनियों से माल मंगाकर ब्लैक में बेचता था स्टॉक
इन दवाओं की वास्तविक मांग मेडिकल उपयोग से कहीं ज्यादा नशे के लिए होती है, इसलिए इन्हें ब्लैक मार्केट में ऊंचे दाम पर बेचा जा रहा था। इसे लेकर ईडी ने कई लोगों से पूछताछ की है। खासकर मेडिकल सेक्टर से जुड़े लोगों से पूछताछ की जा रही है।
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जांच के दौरान यह साफ हुआ कि अभिषेक और उससे जुड़े अन्य मेडिकल होलसेलर्स कई कंपनियों—जैसे बायोजेनेटिक ड्रग्स प्रा. लि., सीबी हेल्थ केयर, समीलेक्ल फार्माचेम, अस्तर फार्मा, सॉल हेल्थ केयर प्रा. लि. आदि—से बड़ी मात्रा में साइकोट्रॉपिक गोलियां खरीदते थे। आरोप है कि ये दवाइयां रिटेल दुकानों तक पहुंचने की बजाय सीधे ड्रग पैडलरों के हवाले कर दी जाती थीं, जो इन्हें रिटेल कीमत से कई गुना अधिक दाम पर नशेड़ियों और तस्करों को बेचते थे।
75% स्टॉक बिना हिसाब के बेच दिया गया
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, अभिषेक कुमार चौहान ने अपनी फर्म श्री श्याम मेडिकल एजेंसी के नाम से भारी मात्रा में दवाओं की खरीद की, लेकिन इस स्टॉक का लगभग 75% हिस्सा कागजों से बाहर बेच दिया गया। यानी खरीद तो पूरी तरह वैध दिखाई गई, लेकिन बिक्री अवैध चैनलों के जरिए की गई।
स्टॉक को ब्लैक मार्केट में बेचने के लिए बिलों में बॉक्सों की संख्या बढ़ाकर दर्ज की जाती थी, ताकि कागजों पर बिक्री वैध प्रतीत हो। जबकि वास्तविकता यह थी कि कई बॉक्स सीधे गैरकानूनी नेटवर्क के जरिए बाहर भेज दिए जाते थे।
कैश लेन-देन 3.75 करोड़ से अधिक होने का दावा
ईडी का कहना है कि अब तक की जांच में लगभग 3.75 करोड़ रुपए के कैश लेन-देन के सबूत मिले हैं। यह रकम अवैध दवा बिक्री से उत्पन्न की गई थी और इसे वैध दिखाने के लिए अलग-अलग खातों और फर्जी बिलिंग का इस्तेमाल किया जाता था। जांच एजेंसी का मानना है कि यह रकम इससे भी ज्यादा हो सकती है और आगे की पूछताछ में कई और खुलासे हो सकते हैं।
ईडी अब अभिषेक कुमार से पूछताछ के जरिए यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उसके संपर्क में कितने ड्रग पैडलर थे और यह नेटवर्क किन-किन राज्यों में फैला हुआ था। चूंकि दवाएं पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में भी भेजे जाने की आशंका है, इसलिए जांच का दायरा और भी बड़ा हो सकता है।

दवा व्यवसाय पर उठ रहे सवाल
इस मामले ने मेडिकल होलसेल और रिटेल बाजार पर भी कई प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। जहां एक तरफ सरकार और एजेंसियां नशे के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ मेडिकल क्षेत्र के लोग ही इस अवैध कारोबार में शामिल पाए जा रहे हैं।
कई विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंतित हैं कि साइकोट्रॉपिक दवाओं की इस तरह की अवैध बिक्री युवाओं को नशे की ओर धकेल रही है और प्रशासन को ऐसे नेटवर्क पर कड़ी निगरानी रखनी होगी। ईडी मामले की गहराई से जांच कर रही है और आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां होने की संभावना है। अभिषेक कुमार से पूछताछ में कई नए लिंक मिलने की उम्मीद है, जो इस अवैध दवा तस्करी के बड़े रैकेट का पर्दाफाश कर सकते हैं।







