डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: जालंधर नगर निगम (Jalandhar Municipal Corporation) के कुछ अधिकारियों की कृपा से शहर के कई जगहों पर अवैध रूप से पार्किंग अड्डा चलाया जा रहा है। इससे नगर निगम को हर महीने लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। सबसे मजेदार बात तो यह है कि एमबीडी माल ने सरकारी जमीन पर जंजीर लगाकर कब्जा कर रखा है। यहां हर वाहन का एक घंटे के लिए 100 रुपए चार्ज वसूल किया जाता है।
जालंधर (Jalandhar) नगर निगम (Municipal Corporation) के अफसरों की कारगुजारी संदेह के घेरे में हैं। शहर में 26 पार्किंग स्लाट हैं। इसमें से ज्यादार पार्किंग अवैध रूप से कराई जा रही है। नगर निगम ने इन पार्किंग स्पेस की बोली भी नहीं करवाई, लेकिन यहां पार्किंग माफिया के कब्जा जमाए हुए है। लाखों रुपए जो सरकारी खजाने में जमा होना था, वह अब निगम के कुछ अफसरों और माफिया की जेब में जा रहा है।

आरटीआई के जरिए मांगी सूचना
जालंधर में अवैध रूप से चल रही पार्किंग स्पेस के खिलाफ करणप्रीत सिंह ने आरटीआई के जरिए सूचना मांगी। जिसमें बताया गया कि शहर में अभी सरकारी पार्किंग नहीं है। बावजूद वहां कुछ प्राइवेट लोग कब्जा कर के पार्किंग का धंधा चला रहे हैं। करणप्रीत सिंह ने इसकी अपील स्टेट कमीशन में की और मौका मुआयना की मांग की थी।
यह भी पढ़ें: जालंधर के अरमान अस्पताल के डाक्टरों पर महिला ने लगाया गंभीर आरोप, AAP नेता से शिकायत
इस पर नगर निगम के तहबाजारी ब्रांच के इंस्पैक्टर अनीत के साथ करणप्रीत सिंह ने मौका मुआयना किया। जहां देखने में आया कि एमबीडी माल के सामने पार्किंग पर अभी भी एमबीडी का कब्जा है, जहां पार्किंग के लिए प्रति वाहन 100 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से वसूल किया जाता है। यहां इंस्पैक्टर ने एमडीबी माल के संचालकों को तत्काल जगह खाली करने का कहा, लेकिन अभी तक जगह खाली नहीं हो सकी।

यहां हो रही है अवैध पार्किंग
- एमबीडी माल (MBD Mall)
- होटल रेडिसन (Hotel Radisson)
- ग्रैंड माल (Grand mall. adjoining Hotel Radisson)
- होटल कमल (Hotel Kamal)
- होटल पार्क इन (Hotel Park INN)
- कैपिटल बैंक (Capital Bank)
- होटल सर्वोवर पार्टिको (Hotel Sarovar Portico)
- होटल बेस्ट वेस्टर्न (Hotel Best Western)

नगर निगम के तहबाजारी ब्रांच की टीम और आरटीआई एक्टिविस्ट करणप्रीत सिंह ने इन 8 जगहों का मौका मुआयना किया। इन सभी जगहों पर अवैध रूप से पार्किंग करवाई जा रही है। जिससे नगर निगम को भारी नुकसान हो रहा है। इसकी शिकायत अब मुख्यमंत्री दफ्तर में की जा रही है। जिससे जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सके।






