डेली संवाद, नई दिल्ली/मुरादाबाद/लुधियाना। GST Scam: देश में 1000 करोड़ रुपए जीएसटी चोरी का बड़ा खुलासा हुआ है। बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी के इस मामले ने प्रशासनिक और प्रवर्तन एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। राज्यकर विभाग और विशेष जांच टीम (एसआईटी) की संयुक्त कार्रवाई में 5,478.35 करोड़ रुपये के टर्नओवर और 989.13 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का मामला सामने आया है।
यह अब तक के सबसे बड़े जीएसटी (GST) घोटालों में से एक माना जा रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का दायरा लगातार बढ़ाया जा रहा है और मुख्य आरोपियों की तलाश तेज कर दी गई है। राज्यकर विभाग के अधिकारियों के अनुसार अब तक जांच में 535 फर्जी फर्मों का खुलासा हो चुका है, जिनके जरिए बड़े पैमाने पर फर्जी बिलिंग कर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का गलत फायदा उठाया गया।

200 से अधिक फर्में जांच के दायरे में
जानकारी के मुताबिक इन फर्मों के माध्यम से की गई टैक्स चोरी का आंकड़ा लगभग एक हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। अधिकारियों का कहना है कि जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। इस रैकेट में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई कारोबारी शामिल हैं।
जांच एजेंसियों का अनुमान है कि लगभग 200 और फर्मों के टर्नओवर और टैक्स चोरी से जुड़े आंकड़े सामने आ सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो टैक्स चोरी की कुल राशि एक हजार करोड़ रुपये से कहीं अधिक हो सकती है। एसआईटी की कार्रवाई के तहत अब तक तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
फर्जी फर्मों के जरिए बड़ा घोटाला
इन आरोपितों से पूछताछ के दौरान कई अहम जानकारियां सामने आई हैं, जिनके आधार पर जांच का दायरा और विस्तृत किया गया है। पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ है कि फर्जी फर्मों का यह नेटवर्क बेहद संगठित तरीके से संचालित किया जा रहा था। एक के बाद एक नई फर्में बनाई जाती थीं और कुछ समय बाद उन्हें बंद कर दिया जाता था, ताकि जांच एजेंसियों को गुमराह किया जा सके।

मास्टरमाइंड की तलाश तेज
जांच एजेंसियां इस पूरे घोटाले के मास्टरमाइंड तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं, जो पर्दे के पीछे रहकर फर्जी फर्मों के इस बड़े नेटवर्क का संचालन कर रहा था। अधिकारियों का मानना है कि यह पूरा रैकेट किसी एक व्यक्ति या छोटे समूह के इशारे पर चल रहा था, जिसने अलग-अलग राज्यों में फर्जी कंपनियां खड़ी कीं।
राज्यकर विभाग के अनुसार फर्जी फर्मों से जुड़े कई अहम तकनीकी साक्ष्य एसआईटी को सौंप दिए गए हैं। इनमें फर्मों के पंजीकरण के दौरान उपयोग किए गए आईपी एड्रेस, फर्जी पते, दस्तावेजों में दर्ज पत्राचार, मोबाइल नंबर और अन्य डिजिटल जानकारियां शामिल हैं। इन साक्ष्यों के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि फर्जी फर्मों का संचालन कहां से और किन लोगों के माध्यम से किया जा रहा था।
स्क्रैप कारोबार की आड़ में घोटाला
जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि स्क्रैप कारोबार की आड़ में बड़े पैमाने पर फर्जी बिलिंग की गई। कई फर्मों ने कागजों पर स्क्रैप की खरीद-बिक्री दिखाकर करोड़ों रुपये का फर्जी टर्नओवर खड़ा किया। इसी कड़ी में अब विभागीय अधिकारी स्क्रैप फैक्ट्रियों और उनसे जुड़े कारोबारियों की भूमिका की गहन जांच कर रहे हैं।
जिन फैक्ट्रियों पर संदेह जताया गया है, उनके लेनदेन, खरीद-बिक्री, बैंक खातों और बिलिंग रिकॉर्ड की बारीकी से पड़ताल की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि कई मामलों में माल की वास्तविक आवाजाही नहीं हुई, लेकिन कागजों पर लेनदेन दिखाकर टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया गया।

डीजीपी कार्यालय से हो रही निगरानी
मामले की गंभीरता को देखते हुए अब इस पूरे प्रकरण पर डीजीपी कार्यालय से भी निगरानी शुरू कर दी गई है। उच्च स्तर पर निगरानी शुरू होने के बाद जांच एजेंसियों पर तेजी से कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है। बताया जा रहा है कि एसआईटी और राज्यकर विभाग द्वारा जांच की प्रगति से संबंधित बिंदुवार रिपोर्ट डीजीपी कार्यालय को भेजी जाएगी, ताकि पूरे मामले पर सीधे नजर रखी जा सके।
अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में इस मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। कई और गिरफ्तारी की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है। जीएसटी चोरी के इस बड़े मामले ने न केवल टैक्स चोरी के संगठित नेटवर्क को उजागर किया है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की खामियों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह मामला इस बात का संकेत है कि फर्जी फर्मों के जरिए टैक्स चोरी का नेटवर्क कितनी गहराई तक फैला हुआ है। जांच एजेंसियों का दावा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और टैक्स चोरी से जुड़े हर व्यक्ति को कानून के दायरे में लाया जाएगा। अब सभी की नजरें एसआईटी की अगली कार्रवाई और इस मामले में होने वाले नए खुलासों पर टिकी हुई हैं।






