डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab: शिरोमणि अकाली दल (SAD) (पुनर-सुरजीत) को उस समय बड़ा झटका लगा, जब पार्टी के प्रधान और तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह (Giani Harpreet Singh) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
नेताओं की बयानबाजी से नाराज
उन्होंने पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं की लगातार विवादित और गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी पर नाराजगी जताते हुए यह फैसला लिया। सूत्रों से पता चला है कि मीटिंग में उन्होंने इस्तीफा रखा था।

बताया जा रहा है कि नेताओं की बयानबाजी से नाराज थे। हालांकि, पार्टी ने अभी स्वीकार नहीं किया है। उधर, गुरप्रताप सिंह बडाला ने इस्तीफा पेश नहीं किया था। उन्होंने कहा कि वह अयाली भी उनके साथ है।
पार्टी की अध्यक्षता में दिलचस्पी नहीं
दो दिन पहले मनप्रीत सिंह अयाली, जो पुनर-सुरजीत में शामिल थे, उन्होंने कहा था कि वह किसी भी ग्रुप का हिस्सा नहीं हैं। उनकी श्री अकाल तख्त पर ड्यूटी लगाई गई थी, जिसे वह निभा रहे हैं। पता चला है कि वह नेताओं की बयानबाजी से आहत थे। हालांकि, गुरप्रताप सिंह बडाला ने इस्तीफा पेश नहीं किया था।
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सूत्रों के मुताबिक बैठक में ज्ञानी हरप्रीत सिंह (Giani Harpreet Singh) ने दोहराया कि उन्हें पार्टी की अध्यक्षता में पहले भी कोई दिलचस्पी नहीं थी और अब भी नहीं है। सूत्रों के मुताबिक अकाली दल पुनर-सुरजीत की बैठक काफी हंगामेदार रही। हालांकि, इसके बाद में वह मीडिया से भी रूबरू हुए थे, लेकिन उन्होंने किसी तरह की कोई बात नहीं की थी।

अकाली दल से अलग बनाई थी पार्टी
2024 लोकसभा चुनाव हार के बाद शिरोमणि अकाली दल में असंतोष खुलकर सामने आया था। जून के अंत में (25-26 जून) करीब 60 वरिष्ठ नेताओं ने चंडीगढ़ में सुखबीर बादल की बैठक का बहिष्कार किया और जालंधर में अलग बैठक की।
यहां सुखबीर से इस्तीफे की मांग की गई और पार्टी में बदलाव की जरूरत बताई। एक जुलाई को अकाल तख्त से “अकाली दल बचाओ लहर” शुरू करने की घोषणा। 15-16 जुलाई को औपचारिक रूप से शिरोमणि अकाली दल सुधार लहर लॉन्च की गई। पूर्व MLA गुरप्रताप सिंह वडाला को संयोजक बनाया गया।






