डेली संवाद, चंडीगढ़। Maha Shivaratri: 26 फरवरी, बुधवार को महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri) का व्रत रखा जाएगा। हर साल यह त्योहार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
यह भी पढ़ें: कनाडा में नई मुसीबत, रद्द होंगे स्टडी और वर्क परमिट, जाने कारण
इस दिन भगवान शिव पहली बार अग्नि के स्तंभ यानी शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे, जो उनके निराकार रूप का प्रतिनिधित्व करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखता है उसे भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
नियमों की पालन करना जरूरी
वैसे तो ज्यादातर लोग महाशिवरात्रि का व्रत रखते हैं, लेकिन अगर आप पहली बार महाशिवरात्रि का व्रत कर रहे हैं तो इस व्रत में कुछ नियमों का पालन करना जरूरी माना जाता है। आइए जानते हैं कि अगर आप पहली बार महाशिवरात्रि का व्रत रख रहे हैं तो किन नियमों का पालन करना होगा।
महाशिवरात्रि पर पूजा के नियम
- महाशिवरात्रि के दिन यानी बुधवार को ब्रह्म महूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करें और फिर व्रत का संकल्प करें। पूरे दिन शिव का स्मरण करते रहें या शिव पंचाक्षर मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करें।
- महाशिवरात्रि के दिन कुछ लोग बिना पानी पिए व्रत रखते हैं तो कुछ लोग फलाहार पर रहते हैं। यह आपकी क्षमता पर निर्भर करता है कि आप निर्जला व्रत करते हैं या फलाहार व्रत। अगर आप जल उपवास करते हैं तो याद रखें कि आप पूरे दिन पानी नहीं पीते हैं।
- महाशिवरात्रि का व्रत करने वालों को प्रदोष के समय शिवलिंग की पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। जो लोग पूरी रात व्रत रखते हैं उन्हें सूर्योदय के समय चार घंटे की पूजा के बाद ही अपना व्रत तोड़ना चाहिए।
- अगर आप पहली बार महाशिवरात्रि का व्रत रख रहे हैं तो ध्यान रखें कि शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद न खाएं और न ही कोई प्रसाद चढ़ाएं। शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद का एक हिस्सा चंडेश्वर को जाता है।
महाशिवरात्रि पर पूजा विधि
- महाशिवरात्रि के दिन स्नान-ध्यान के बाद व्रत का संकल्प लें और फिर नजदीकी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल, पान के पत्ते, चावल के दाने, सफेद चंदन, दूध, दही आदि चढ़ाएं। इसके बाद पूरे दिन भगवान शिव का ध्यान या शिव मंत्रों का जाप करते रहें।
- शिवाला के बाद एक चौकी स्थापित करें और उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। फिर इसमें थोड़े से चावल डालकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति, प्रतिमा या चित्र रखें। यदि कोई मूर्ति या चित्र न हो तो शुद्ध मिट्टी से शिवलिंग बनाएं। फिर पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें।
- इसके बाद एक मिट्टी का बर्तन या कलश लें और उस पर स्वास्तिक बनाएं। फिर कलश में थोड़ा सा गंगा जल और पानी डालें और कलश में सुपारी, हल्दी पाउडर और एक सिक्का डालें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं।
- अब शिवलिंग पर सुपारी, लौंग, इलायची, चंदन, हल्दी, दूध, दही, पान का पत्ता, कमल के बीज, धतूरा, भांग, शहद, घी आदि चढ़ाएं।
- शिवलिंग पर पूजा सामग्री चढ़ाने के बाद शिव कथा पढ़ें और कपूर से भगवान शिव की आरती करें। फिर प्रसाद चढ़ाएं।
- रात्रि जागरण करें और इस दौरान भगवान शिव की स्तुति करें या शिव चालीसा का पाठ करें तो शुभ रहेगा। आप शिव मंत्र आदि का जाप कर सकते हैं। रात्रि जागरण के समय भगवान शिव की चार आरती करना आवश्यक है।


