जालंधर, अमृतसर और लुधियाना में स्थापित होंगे इन्क्यूबेशन, अनुसंधान और कौशल विकास केंद्र, जाने क्या होगा फायदा

Daily Samvad
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डेली संवाद, चंडीगढ़
पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की मौजूदगी में आज यहां पी.एम.आई.डी.सी., निकाय विभाग और मैसर्ज टाटा प्रौद्यौगिकी लिमटिड (टी.टी.एल.) के मध्य समझौता किया गया। यह समझौता तीनों स्मार्ट शहरों में हब और सपोक मॉडल पर आधारित औद्योगिक निर्माण-अनुसंधान, इन्क्यूबेशन और कौशल विकास केंद्र स्थापित करना है।

लुधियाना में हब मॉडल पर आधारित 1 और लुधियाना, अमृतसर और जालंधर स्मार्ट शहरों में सपोक मॉडल पर आधारित एक -एक केंद्र स्थापित करना है। इस मौके पर प्रमुख सचिव, स्थानीय निकाय विभाग, पंजाब ए.वेणू प्रसाद और डायरैक्टर, स्थानीय निकाय करुणेश शर्मा और सी.ई.ओ., पी.एम.आई.डी.सी. अजोए शर्मा भी उपस्थित थे।

सिद्धू ने कहा कि प्रौद्यौगिकी और कौशल विकास पर संगठित प्रशिक्षण देने के लिए आई.आई.एस.डी.सी. को वन-स्टाप केंद्र के तौर पर स्थापित किया जायेगा। इसके अलावा यह कदम निर्माण क्षेत्र में इंडस्ट्रीज की ज़रूरतों के मुताबिक इंजीनियरों, आपरेटरों, तकनीशियज़ और कलाकार मानव स्रोतों का तैयार स्थानीय पुल मुहैया करवाने और पंजाब के लोगों ख़ास कर नौजवानों की रोजग़ार क्षमता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।

इससे उच्च मानक की नौकरियां पैदा होंगी और प्रौद्यौगिकी से लैस उद्यमों को बढ़ावा मिलेगा

यह उच्च और औद्योगिक प्रशिक्षण के साथ उच्च मानक की नौकरियों की संभावनाएं बढ़ेंगी और कोर्स पाठ्यक्रम को आधुनिक औद्योगिक प्रेक्टिसिज के अनुसार अपग्रेड किया जायेगा और इसके साथ ही इनोवेटरज़ को नये उत्पाद विकसित करने में सहायता मिलेगी और साथ ही प्रौद्यौगिकी से लैस उद्यमों को बढ़ावा मिलेगा।

आई.आई.एस.डी.सी. में प्रशिक्षण कार्यप्रणाली में क्लासरूम और लैब सैशनज़, ऑनलाइन वीडियोज़, ई-लर्निंग, असेसमेंट और ज्वाइंट सर्टीफिकेटज़ आदि शामिल होंगे। इसके अलावा यहाँ उद्योगिक माहिरों द्वारा आई.आई.एस.डी.सीज़, विशेष लैक्चरों और सैमीनारों में विद्यार्थियों का ज्वाइंट सुपरवीजन होगा।

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सिद्धू ने बताया कि टी.टी.एल और औद्योगिक पार्टनरज़ सभी योग्य शिक्षित विद्यार्थियों को नौकरियों के मौके प्रदान करने के लिए अपना समर्थन देंगे। उन्होंने यह भी बताया कि टी.टी.एल. की तरफ से इन तीनों शहरों में इन आई.आई.एस.डी.सीज़ की स्थापना के लिए तकरीबन 552 करोड़ रुपए (कुल लागत का 88 फीसदी) का योगदान दिया जायेगा और साथ ही उनकी तरफ से 3 सालों के लिए बिना किसी चार्जिज़ से प्रशिक्षण भी दिया जाएगा और इस दौरान स्थानीय ट्रेनरों को भी प्रशिक्षण दिया जायेगा।

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