डेली संवाद, उत्तर प्रदेश | Bhole Baba Hathras Satsang : उत्तर प्रदेश में भोले बाबा के नाम से मशहूर सूरज पाल की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। उनकी संपत्ति और जीवनशैली लोगों के लिए एक रहस्य बनी हुई है। उनके पास 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है, जिसमें कई आलीशान आश्रम, लग्जरी कारें, और सेवादारों की फौज शामिल है। उनका दावा है कि वे दान नहीं लेते, फिर भी उनके पास इतनी संपत्ति कैसे है, यह सवाल सबके मन में है।
Bhole Baba की शाही जीवनशैली
भोले बाबा (Bhole Baba) की जीवनशैली राजाओं जैसी है। उनके काफिले में 25 से 30 लग्जरी कारें शामिल रहती हैं, और वे खुद फॉर्च्यूनर कार में चलते हैं। बाबा जहां भी जाते हैं, उनके साथ गुलाबी वर्दी पहने सेवादारों की फौज रहती है। बाबा के पास कुल 24 से ज्यादा आलीशान आश्रम हैं, जिनमें हर समय सुरक्षा और सेवा में लगे सेवादार तैनात रहते हैं।
मैनपुरी का बिछुआ आश्रम
मैनपुरी का बिछुआ आश्रम बाबा (Bhole Baba) का मुख्य आश्रम है, जो 21 बीघा में फैला हुआ है। इस आश्रम में 6 आलीशान कमरे बाबा और उनकी पत्नी के लिए रिजर्व हैं। इस आश्रम की कीमत करीब 4 करोड़ रुपये है और इसमें 200 से ज्यादा लोगों ने दान दिया है। बाबा के इस आश्रम में 80 सेवादार तैनात रहते हैं, जो आश्रम की देखभाल और बाबा की सेवा में लगे रहते हैं।
कानपुर का आश्रम
कानपुर में बाबा (Bhole Baba) का एक आश्रम 14 बीघा में फैला हुआ है। इस आश्रम के आसपास के गांवों में बाबा का खौफ है, क्योंकि यहां के सेवादार गांव वालों को आश्रम के सामने से गुजरने नहीं देते। आश्रम के अध्यक्ष और सेवादारों की वजह से यहां के ग्रामीण डर में जीते हैं। आश्रम के भीतर वीआईपी व्यवस्था है और यहां कई सेवादार बिना पैसे के सेवा करते हैं।
इटावा का आश्रम
इटावा के सराय भूपत के कटे खेड़ा गांव में बाबा (Bhole Baba) का आश्रम 15 बीघा भूमि पर बना है। इस आश्रम में कई कमरे, एक बड़ा हॉल, और बाहर एक मंच है। हालांकि, बाबा अभी तक यहां नहीं पहुंचे हैं और आश्रम खाली पड़ा हुआ है। गांव वालों ने चंदा इकट्ठा करके इस आश्रम का निर्माण करवाया था।
नोएडा का आश्रम
नोएडा के सेक्टर-87 इलाबांस गांव में बाबा का आलीशान आश्रम है। यह आश्रम बड़े-बड़े गेटों और सुरक्षा के इंतजामों से लैस है। बाबा यहां साल 2022 में आए थे और उनके समागम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे।
कासगंज का आश्रम
कासगंज के पटियाली में बाबा का पहला आश्रम बना था। यह आश्रम बाबा का पैतृक गांव है और यहीं से उनके साम्राज्य की शुरुआत हुई थी। इस आश्रम का निर्माण हरि चेरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर किया गया है और इसमें कई बीघा जमीन शामिल है। आश्रम के चारों ओर ऊंची दीवारें और किले जैसा दरवाजा लगा हुआ है।
हाथरस सत्संग और विवाद
हाथरस सत्संग में मची भगदड़ में 123 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद बाबा गायब हो गए और उनके आश्रम के बाहर पुलिस तैनात हो गई। एफआईआर में बाबा का नाम नहीं है, और इस घटना के बाद से उनकी खोजबीन जारी है। बाबा के भक्तों का कहना है कि वह दान नहीं लेते, लेकिन उनकी संपत्ति और शान-ओ-शौकत इस दावे को सवालों के घेरे में खड़ा करती है।
Bhole Baba का दावा: दान नहीं लेते
भोले बाबा का दावा है कि वे दान नहीं लेते। उनके सभी आश्रम ट्रस्ट के नाम पर हैं, और इन ट्रस्टों में स्थानीय लोग और बाबा के भक्त शामिल हैं। बाबा के कार्यक्रमों के लिए चंदा नहीं लिया जाता, बल्कि जो लोग कमेटी में होते हैं, वही पूरा खर्च उठाते हैं। बाबा के भक्तों में बड़े-बड़े अधिकारी भी शामिल हैं, जो गुप्त दान करते हैं।
सेवादारों की फौज
बाबा के सेवादार गुलाबी रंग की वर्दी पहनते हैं और उनकी सुरक्षा में हमेशा तैनात रहते हैं। बाबा का कहना है कि उन्हें पुलिस प्रशासन पर भरोसा नहीं है, इसलिए उनके निजी सेवादार और खुद की आर्मी उनकी सुरक्षा में रहती है। सेवादारों की यह फौज बाबा के हर आदेश का पालन करती है और उनकी सेवा में जुटी रहती है।