डेली संवाद, नई दिल्ली | UGC New Guidelines: पिज्जा, बर्गर और पास्ता को कहें ना। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक सख्त कदम उठाते हुए सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को अपने परिसरों में कैंटीनों में जंक फूड की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। यह छात्रों के बीच बढ़ते मोटापे और गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की समस्या को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
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क्यों लिया गया ये फैसला?
UGC का यह फैसला भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक रिपोर्ट पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि देश में हर चार में से एक व्यक्ति इन बीमारियों से ग्रस्त है। यूजीसी ने इस स्थिति को गंभीर चिंता बताया है और कहा है कि छात्रों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए तत्काल कदम उठाना आवश्यक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जंक फूड में अत्यधिक मात्रा में वसा, चीनी और नमक होता है, जो मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग और अन्य गैर-संचारी रोगों के विकास के जोखिम को बढ़ाता है। शिक्षा संस्थानों में जंक फूड की आसानी से उपलब्धता छात्रों के लिए इन बीमारियों के प्रति संवेदनशील बना सकती है।
UGC का आदेश क्या कहता है?
16 जुलाई 2024 को जारी एक पत्र में, यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को अपने परिसरों में कैंटीनों में जंक फूड की बिक्री बंद करने का निर्देश दिया है। जंक फूड की परिभाषा में पिज्जा, बर्गर, फ्रेंच फ्राइज़, पैकेज्ड नूडल्स, कोल्ड ड्रिंक्स और अत्यधिक मीठे पेय शामिल हैं।
इसके अलावा, यूजीसी ने संस्थानों को अपने कैंटीनों में स्वस्थ भोजन विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए भी कहा है। इसमें ताजे फल, सब्जियां, दालें, सलाद, ब्राउन राइस और स्थानीय व्यंजन शामिल हो सकते हैं।
क्या यह पहली पहल है?
यह उल्लेखनीय है कि यह पहली बार नहीं है जब यूजीसी ने जंक फूड के खिलाफ कदम उठाए हैं। आयोग ने 2016 और 2018 में भी इसी तरह के निर्देश जारी किए थे। हालांकि, पिछले निर्देशों के कार्यान्वयन में सख्ती नहीं बरती गई थी।
अब आगे क्या?
यह उम्मीद की जाती है कि यूजीसी का यह ताजा निर्देश अधिक प्रभावी होगा और सभी विश्वविद्यालय और कॉलेज जंक फूड पर प्रतिबंध लगाएंगे। छात्रों को भी स्वस्थ भोजन विकल्पों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।