डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: रसूख और पैसा हो, तो क्या नहीं हो सकता। पैसे के आगे अफसर भी आंखें बंद कर लेते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ है जालंधर (Jalandhar) के कूल रोड (Cool Road) स्थित अग्रवाल ढाबे (Aggarwal Dhaba) की कामर्शियल इमारत के मामले में। जिस इमारत को अवैध बताकर नगर निगम (Municipal Corporation) की टीम ने तीन महीने से सील किया था, न केवल उसकी सील खोली गई, बल्कि इमारत बनकर तैयार भी हो गई।
यह भी पढ़ें: कनाडा के कॉलेजों पर आर्थिक संकट,भारतीय छात्रों की कमी के कारण हालात बिगड़े
जानकारी के मुताबिक अग्रवाल ढाबे के मालिकों ने साल 2016 में दो और साल 2021 में तीन पोर्शन का कमर्शियल नक्शा पास करवाया था। इसमें चालाकी ये की गई कि कुछ हिस्से का चेंज आफ लैंड यूज (CLU) भी नहीं करवाया गया। जिससे सरकार को लाखों रुपए का चूना लगाया गया।
12 फरवरी को काम रोका
बिल्डिंग बायलाज के खिलाफ जाकर अग्रवाल ढाबे के मालिक ने सभी तीनों नक्शों के विपरीत तीनों इमारतों को क्लब कर लिया, जो बायलाय का सरासर उल्लंघन था। इसकी शिकायत भी नगर निगम के कमिश्नर के पास पहुंची थी, जिसके बाद एटीपी सुखदेव वशिष्ठ और इंस्पैटर नरिंदर मिड्डा ने 12 फरवरी को काम रोक दिया था।
नगर निगम के एटीपी और इंस्पैक्टर द्वारा 12 फरवरी को काम रोकने के बाद भी अग्रवाल ढाबे के मालिकों ने काम बंद नहीं करवाया। अग्रवाल ढाबे के मालिकों ने अपना धौंस दिखाते हुए काम चालू रखा। क्लब की गई नाजायज इमारत पर तीसरी मंजिल बनाई जा रही थी, जिसे नगर निगम की टीम ने फिर से रोका था।
तीसरी मंजिल पर लैंटर डाला
बावजूद इसके अग्रवाल ढाबे के मालिक काम नहीं रोक रहे थे। इसके बाद नगर निगम के कमिश्नर गौतम जैन के आदेश पर एटीपी सुखदेव वशिष्ठ और इंस्पैक्टर नरिंदर मिड्डा की टीम ने अग्रवाल ढाबे की इस इमारत को सील कर दिया था। निगम अधिकारियों के मुताहिब 1500 स्कावायर फीट में अवैध रूप से तीसरी मंजिल पर लैंटर डाला गया था।
अग्रवाल ढाबे पर नगर निगम का एक्शन, देखें
अब ताजा स्थिति यह है कि अग्रवाल ढाबे के मालिकों ने पैसे के दम पर न केवल सील खुलवा ली, बल्कि इमारत भी तैयार करवा ली। हालांकि नगर निगम के अधिकारियों ने कहा है कि अग्रवाल ढाबे के मालिक ने दो महीने का वक्त मांगा था, इस दौरान जितनी नाजायज इमारत है, उसे वह खुद तोड़ लेगा। लेकिन पिछले 20 दिनों से नाजायज हिस्सा तोड़ना तो दूर, अवैध रूप से पूरी इमारत खड़ी हो गई।
अगर कार्ऱवाई हो तो टूटेगी इमारत
नगर निगम के कमिश्नर की पता नहीं क्या मजबूरी है कि एक सिंगल दुकान की सील खोलने की इजाजत नहीं देते, लेकिन अगर तीन मंजिला नाजायज इमारत सील करवाते हैं तो उसे तीन महीने में ही खोलने का भी आदेश दे देते हैं। यह करप्शन नहीं तो क्या है? फिलहाल अग्रवाल ढाबे के मालिक की इमारत करप्शन के बल पर पूरी तरह से तैयार हो गई है।
अगर बिल्डिंग बायलाज के अनुसार इसकी कंपाउंडिंग भी की जाती है तो तीनों इमारतों के कई हिस्से तोड़े जाएंगे। जिससे अग्रवाल ढाबे के मालिक को लाखों रुपए का नुकसान हो सकता है। अग्रवाल ढाबे का मालिक इस नाजायज इमारत को बनाकर बेचने का काम करता है, अगर किसी ने इस इमारत को खरीदा तो उसे भविष्य़ में परेशानी आ सकती है।