डेली संवाद, पंजाब। Stubble Burning: दिल्ली मॉडल को पूरी तरह से अपनाकर पंजाब का अब राष्ट्रीय राजधानी की तरह ही खराब वायु गुणवत्ता के कारण दम घुट रहा है। पंजाब के कई शहरों में धुएं जैसी स्थिति है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, 604 खेतों में आग लगने की सूचना मिली, जो पंजाब की खराब वायु गुणवत्ता के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं।
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पंजाब में 33 हजार से ज्यादा जगहों पर पराली जलाई जा चुकी है। इसके बाद तरनतारन का नंबर आता है, जहां तीन हजार जगहों पर पराली को आग के हवाले किया गया। इसके अलावा लुधियाना में किसान लगातार पराली में आग लगा रहे हैं। लुधियाना में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 300 के स्तर को पार कर गया है।
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इस बीच, लुधियाना में हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई, जबकि खन्ना और पटियाला में यह ‘खराब’ रही। पंजाब में पराली प्रदूषण ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। इसके चलते अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या अब बढ़ती जा रही है। आपको बता दें कि प्रदूषण से सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होते हैं। पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से अब कई उत्तरी राज्य परेशान हैं, लेकिन किसानों की क्या मजबूरी है कि वे पराली जलाना बंद नहीं कर रहे हैं? यह एक बड़ा सवाल है जो सरकारों की नाकामी को उजागर कर रहा है।
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