Manipur: मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, पुलिसकर्मी समेत पांच लोगों की मौत

Daily Samvad
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डेली संवाद, मणिपुर। Manipur: पिछले कई हफ्तों से मणिपुर में हालत तनावपूर्ण है और गाहे-बगाहे हिंसक वारदातें हो रही है। इस हिंसा में अब तक 75 से 80 लोग अपनी जान गंवा चुके है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने भी मणिपुर का दौरा करने की योजना बनाई ताकि वहां के हालात थोड़े ठीक हो सके और शांति की बहाली का प्रयास किया जाए।

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वहीं रविवार को प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा में एक पुलिसकर्मी समेत कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई है जबकि 12 लोग घायल हो गए है। पिछले महिजने जातीय हमले में कम से कम 80 लोग मारे गए थे। रविवार को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक बयान जारी कर बताया था कि उन्हें रिपोर्ट मिली है कि हिंसा के दौरान “40 आतंकवादी” मारे गए हैं।

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सीएम ने कहा, ये आतंकवादी नागरिकों के खिलाफ एम-16 और एके-47 असॉल्ट राइफलों और स्नाइपर गन का इस्तेमाल कर रहे थे। ये कई गांवों में घरों को जलाने के लिए आए थे। सेना और अन्य सुरक्षा बलों की मदद से उनके खिलाफ बहुत कड़ी कार्रवाई की गई जिसमें करीब 40 आतंकवादियों को मार गिराया गया है’।

कब और क्यों शुरू हुई हिंसा?

ऑल ट्राइबल्स स्टूडेंट्स यूनियन (मणिपुर) ने 3 मई को एक रैली का आयोजन किया था, जो मणिपुर हाईकोर्ट के अप्रैल में सुनाए गए उस फ़ैसले के खिलाफ आयोजित की गई थी जिसम राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर विचार करने का आदेश दिया गया था।

मैतेई समुदाय की मांग

मैतेई हमेशा से मांग करते रहे हैं कि उन्हें अनुसूचित जनजातियों में शामिल किया जाना चाहिए, लेकिन नागा और कुकी समुदाय को लगता है कि अगर ऐसा हुआ तो उनका हक़ छिन जाएगा, क्योंकि राज्य में 50 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी मैतेई समुदाय की ही है। दरअसल, राज्य में मैतेई समुदाय के लोग राजनीतिक और आर्थिक तौर पर भी ज़्यादा ताकतवर हैं, और 60 सीट वाली मणिपुर विधानसभा में 40 सीटें घाटी से ही आती हैं, जहां मैतेई बहुतायत में हैं।

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