Punjab News: चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने राज्य में वाटरशैड्ड प्रोग्रामों के लिए 4 करोड़ की सौंपी ग्रांट

Daily Samvad
4 Min Read

डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब के भू और जल संरक्षण मंत्री स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने आज राज्य के नीम-पहाड़ी कंडी क्षेत्र से सम्बन्धित पाँच ज़िलों होशियारपुर, पठानकोट, एस.बी.एस नगर, एस.ए.एस नगर और रूपनगर में लागू किए जा रहे 7 वाटरशैड्ड-आधारित प्रोजेक्टों के विकास के लिए और खेती उत्पादन सुधार कामों के लिए 4.00 करोड़ रुपए से अधिक की ग्रांटें सौंपी।

80 करोड़ रुपए की लागत के साथ लागू किए जा रहे प्रोजैकट

इन ज़िलों में यह प्रोजैकट कुल 80 करोड़ रुपए की लागत के साथ लागू किए जा रहे हैं। कैबिनेट मंत्री स. जौड़ामाजरा ने नवीन पहलकदमी के अंतर्गत भूमि रक्षा कंपलैक्स मोहाली में राज्य के पाँच ज़िलों होशियारपुर, पठानकोट, एस.बी.एस नगर, एस.ए.एस नगर और रूपनगर की वाटरशैड्ड कमेटियाँ, किसान उत्पादक संस्थाओं और स्वै-सहायता समूहों के 100 से अधिक सदस्यों के साथ मुलाकात की।

ये भी पढ़ें: ट्रैवल एजैंट विनय हरि के खिलाफ DCP से शिकायत, FIR दर्ज करने की मांग

स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की राज्य के नौजवानों का ब्रेन-ड्रेन रोकने और सार्थक रोज़गार मुहैया करवाने की वचनबद्धता दोहराते हुए ऐसे प्रोजैक्टों के द्वारा बेरोजगार नौजवानों, भूमि रहित, छोटे और सीमांत किसानों के लिए आर्थिक मदद या हुनर विकास पर ज़ोर दिया ताकि वह यहीं रह कर ही अपनी रोज़ी-रोटी बढ़िया ढंग से कमा सकें।

किसान को सारा साल आमदन के नियमित स्रोत मिलते

कैबिनेट मंत्री ने कृषि से सम्बन्धित पेशों जैसे डेयरी, सूअर पालन, बकरी पालन, मुर्ग़ी पालन, मधु-मक्खी पालन आदि को विकसित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि कृषि से सम्बन्धित पेशे अपनाने से किसान को सारा साल आमदन के नियमित स्रोत मिलते हैं। उन्होंने कृषि के लिए इस्तेमाल की जाती रासायनिक खादों के हानिकारक प्रभावों के प्रति बढ़ रही जागरूकता के दरमियान अनुकूल बीजों, स्थानीय खादों, वर्मी-कम्पोस्ट आदि को उत्साहित करके जैविक खेती के अधीन क्षेत्रफल बढ़ाने का न्योता भी दिया।

ये भी पढ़ें: जालंधर में होटल Empire Square और Deck5 होगा सील

कैबिनेट मंत्री के साथ बातचीत के दौरान करते कमेटियों के प्रतिनिधियों ने बताया कि गाँवों के समूह लोगों को भरोसे में लेकर कामों का चयन किया गया है जिसमें जल-तालाब बनाना/ नवीनीकरण करना, भूमिगत सिंचाई पाइपलाइन, बारिश के पानी की रिचार्जिंग, भूमि सुरक्षा और ड्रेनेज लाईन ट्रीटमेंट के काम शामिल हैं। इनके इलावा प्रोजैक्ट में कृषि के सहायक धंधों को उत्साहित करना और स्वै-सहायता समूहों और भूमि रहित किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है।

एक गाँव के सिर्फ़ 30 सदस्यों ने इस संस्था की शुरुआत की

इसी तरह किसान उत्पादक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने बताया कि उन्होंने जुलाई 2023 में एक गाँव के सिर्फ़ 30 सदस्यों से इस संस्था की शुरुआत की थी, जो अब बढ़कर 270 सदस्यों की हो गई है, जिसमें 15 गाँवों का लगभग 1000 एकड़ क्षेत्रफल शामिल है। वह लेमन ग्रास की काश्त और मंडीकरण, सरसों की काश्त और प्रोसेसिंग, बकरी पालन, सूअर पालन जैसी गतिविधियां कर रहे हैं और साथ ही कस्टम हायरिंग के आधार पर उपकरण प्रदान कर रहे हैं।

ज़िक्रयोग्य है कि वाटरशैड्ड-आधारित प्रोजेक्टों का उद्देश्य बहु-स्रोत प्रबंधन की साझा रणनीति अपनाकर समूचे क्षेत्र का सर्वांगीण विकास करना है जिसमें खेती उत्पादन के सुधार करने के साथ-साथ कुदरती स्रोत प्रबंधन से लेकर रोज़ी-रोटी के साधन पैदा करने तक के कार्य शामिल हैं।

ट्रेवल एजैंट स्वराज पाल सिद्धू ने ठगे 2 करोड़ रुपए















Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *