डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: PSPCL Defaulters in Jalandhar News – पंजाब पावर कारपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) के कुछ इंजीनियर डिफाल्टरों पर खासे मेहरबान हैं। जालंधर नार्थ रीजन (जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर और नवांशहर) में सैकड़ों डिफाल्टरों से 300 करोड़ रुपए वसूलने में PSPCL के अफसर नाकाम साबित हो रहे है। चर्चा यह है कि रिकवरी के लिए जिम्मेदार अफसर बकाया वसूलने की बजाए सैटिंग का खेल कर रहे हैं। जिसके साथ सैटिंग हो जाती है, उससे न तो बिल की रिकवरी की जाती है और न ही उसका कनेक्शन काटा जाता है।
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इस संबंध में आरटीआई के जरिए बड़ा खुलासा हुआ है। आरटीआई एक्टिविस्ट करणप्रीत सिंह ने इस संबंध में एक आरटीआई पीएसपीसीएल (PSPCL) में लगाई थी। इसके जवाब में बड़े ही हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। PSPCL द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अकेले जालंधर (Jalandhar) वेस्ट डिवीजन में 10 हजार से ज्यादा लोग डिफाल्टर हैं, इनसे करोड़ों रुपए की रिकवरी करनी है। इसके साथ ही पूरे नार्थ रीजन (4 जिले) में करीब 300 करोड़ रुपए बकाया है।

पीएसपीसीएल एक्शन क्यों नहीं ले रहा है?
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि पिछले कई साल से बिजली बिल न जमा करने वाले डिफाल्टरों के खिलाफ पीएसपीसीएल एक्शन क्यों नहीं ले रहा है? सूत्र बताते हैं कि PSPCL के कुछ बड़े अफसर और इंजीनियर मिलकर डिफाल्टरों से हर महीने अपने लिए पैसे की वसूली करती हैं। जिससे डिफाल्टरों के न कनैक्शन काटे जा रहे हैं और न ही कोई बड़ी कार्ऱवाई होती है।
PSPCL के सूत्र बताते हैं कि कुछ बड़े इंजीनियर मोटा पैसा वसूल करते हैं। ये इंजीनियर कामर्शियल कैटेगरी के डिफाल्टरों से हर महीने लाखों रुपए वसूलते हैं। आरटीआई के बाद PSPCL के अफसरों द्वारा जालंधर वेस्ट डिवीजन के एक्सईएन सनी भागरा को नोटिस निकाल कर मामले को दबाने की कोशिश किया जा रहा है। अकेले जालंधर वेस्ट डिवीजन में करीब करोड़ों रुपए की रिकवरी की जानी है।

R.ESS Iron and Steel पर मेहरबानी
इसके अलावा जालंधर कैंट डिवीजन में इंजीनियर का कारनामा ऐसा है कि यहां एक ही व्यक्ति 3 करोड़ रुपए बकाया है, लेकिन उससे रिकवरी नहीं की जा रही है। पीएसपीसीएल के वडिंग स्थित दफ्तर से चंद कदम दूर जीटी रोड पर स्थित आरईएसएस आयरन एंड स्टील प्राईवेट लिमिटेड (R.ESS Iron and Steel Pvt Ltd.) 3,02,08,269 (3 करोड़ से ज्यादा) बकाया है।
हैरानी की बात तो यह कि R.ESS Iron and Steel Pvt Ltd की इस जमीन पर दो होटल बन गए। एक होटल चल रहा है, जबकि दूसरा निर्माणधीन है। हैरानी की बात तो यह है कि 3 करोड़ से ज्यादा के डिफाल्टर वाली प्रापर्टी पर आखिर फिर से कैसे बिजली के मीटर लग गए। यहां एक नहीं, बल्कि दो-दो बिजली के मीटर लगा दिए गए हैं। इसमें लाखों रुपए की सैटिंग का खेल हुआ है।

दो होटलों को नए मीटर मंजूर
सूत्र बताते हैं कि जिस PSPCL के जिस अफसर के अधिकारक्षेत्र में यह एरिया आता है, उसके खिलाफ विभागीय जांच चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक उक्त अफसर को कई बार नोटिस जारी हुए, कई बार चार्जशीट किया गया, लेकिन सरकार कोई सख्त एक्शन नहीं ले रही है। अब हैरानी की बात यह है कि 3 करोड़ से ज्यादा डिफाल्टर वाली प्रापर्टी को फिर से बिजली मीटर लगाकर दे दिया।






