डेली संवाद, रूस। Russia Plane Crash News Update: रूस (Russia) का एक यात्री विमान (Plane) चीन की सीमा के पास क्रैश हो गया है। हादसे में विमान में सवार 50 लोगों की मौत हो गई है। इसमें 44 यात्री और 6 क्रू मेंबर सवार थे। यात्रियों में 5 बच्चे भी शामिल थे बचावकर्मियों को टिंडा से लगभग 16 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर रूसी यात्री विमान का मलबा मिला है।
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रॉयटर्स के मुताबिक ये विमान रूस (Russia) के पूर्वी अमूर क्षेत्र में उड़ रहा था। अमूर के गवर्नर वासिली ओरलोव ने टेलीग्राम पर बताया कि लापता विमान अंगारा एयरलाइंस का है। लोकल इमरजेंसी मिनिस्ट्री ने बताया कि विमान खाबरोवस्क, ब्लागोवेशचेंस्क होते हुए टिंडा जा रहा था। यह चीन की सीमा के पास है। टिंडा पहुंचने से पहले वह रडार से गायब हो गया और उसका संपर्क टूट गया।

लैंडिंग की कोशिश में गायब
इंटरफैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, विमान पहले टिंडा एयरपोर्ट पर उतरने की कोशिश में नाकामयाब रहा। जब उसने दूसरी बार लैंडिंग की कोशिश की, तभी वह रडार से गायब हो गया। तास समाचार एजेंसी ने एक सूत्र के हवाले से बताया कि यह विमान टिंडा एयरपोर्ट से कुछ किलोमीटर पहले एक तय चेकपॉइंट पर भी संपर्क नहीं कर पाया। टिंडा शहर रूस की राजधानी मॉस्को से करीब 6,600 किलोमीटर दूर पूर्व में स्थित है।
63 साल पुराना था विमान
सोवियत संघ ने An-24 विमान को छोटे इलाकों में उड़ने के लिए बनाया था। तब इसमें 32 सीटें होती थीं, जो 450 किमी प्रति घंटे की गति से 400 किलोमीटर तक उड़ान भरती थी। इसके अलावा यह 4 टन तक का वजन (पेलोड) ले जा सकती थी। इसे ऐसे रनवे से उड़ान भरने लायक भी बनाया गया था जो केवल 1200 मीटर लंबे और पक्के नहीं हों।

चीन की सरहद से सटी है हादसे की जगह
बचाव दल अब भी घटनास्थल तक पहुंचने की कोशिश में हैं, लेकिन घने जंगल और आग रेस्क्यू की कोशिश का आड़े आ रहे हैं। रूसी अधिकारियों ने इस हादसे की जांच शुरू कर दी है। यह विमान अमूर क्षेत्र के एक छोटे से शहर टायंडा की ओर जा रहा था। ये इलाका चीन की सरहद से सटा हुआ है।
अप्रैल 1962 में टेस्टिंग कामयाब हुई
इतना ही नहीं, अगर विमान का एक इंजन भी खराब हो जाए, तो भी यह टेकऑफ कर सके। अप्रैल 1962 में इसकी टेस्टिंग कामयाब हुई जिसके बाद अक्टूबर 1962 से इस विमान ने यात्रियों को ले जाना शुरू कर दिया। An-24 के कुल 1367 विमान बनाए गए। सोवियत संघ में इस विमान का निर्माण 1979 तक जारी रहा, लेकिन इसके बाद भी ये विमान सेवा में बने रहे। आज भी An-24 का इस्तेमाल कुछ जगहों पर हो रहा है।






