डेली संवाद, नई दिल्ली। Sandeepa Virk: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) केस में बड़ी कार्रवाई करते हुए हाईबोकेयर.कॉम (Highbocare.com) की मालकिन संदीपा विर्क (Sandeepa Virk) को गिरफ्तार कर लिया है। ईडी ने संदीपा विर्क (Sandeepa Virk) और उनके सहयोगियों के दिल्ली और मुंबई में मौजूद तमाम ठिकानों पर छापेमारी भी की। संदीपा विर्क खुद को अभिनेत्री और कॉस्मेटोलॉजिस्ट बताती है।
गिरफ्तारी के बाद संदीपा की पेशी
ईडी (ED) ने छापेमारी के बाद संदीपा विर्क (Sandeepa Virk) को गिरफ्तार कर लिया और विशेष अदालत में पेश किया। जहां से संदीपा विर्क को ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है। वहीं संदीपा ने दावा किया है कि वह हाईबोकेयर.कॉम नाम की एक त्वचा देखभाल उत्पाद बेचने वाली वेबसाइट की मालकिन हैं। जबकि ईडी ने दावा किया है कि यह वेबसाइट मनी लॉन्ड्रिंग के लिए मुखौटा है।

एएन सेथुरमन के घर पर तलाशी
जानकारी के मुताबिक, एजेंसी संदीपा (Sandeepa Virk) और सहयोगियों पर गलत बयानी के जरिये अनुचित प्रभाव डालने और झूठे बहाने से पैसे मांग कर लोगों को धोखा देने के आरोप की जांच कर रहा है। पूरे मामले में ईडी ने कहा कि संदीपा पूर्ववर्ती रिलायंस कैपिटल लिमिटेड के पूर्व निदेशक अंगाराई नटराजन सेथुरमन नाम के एक शख्स के भी संपर्क में थी। एएन सेथुरमन के घर पर तलाशी में इसकी पुष्टि हुई है।
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पंजाब पुलिस की FIR पर जांच
इस छापों के दौरान कुछ ऐसे साक्ष्य भी मिले हैं जो निजी फायदे के लिए पैसों के दुरुपयोग की ओर इशारा करते हैं। जानकारी के मुताबिक, ईडी ने पंजाब पुलिस की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की है। छापों के दौरान अपराध सिद्ध करने वाले कई दस्तावेज जब्त किए गए। ईडी ने खुद को संदीपा विर्क का सहयोगी बताने वाले फारुख अली नाम के एक व्यक्ति का बयान भी दर्ज किया।

सौंदर्य उत्पाद असली नहीं
ईडी के मुताबिक संदीपा विर्क (Sandeepa Virk) का वेब पोर्टल एफडीए-अनुमोदित सौंदर्य उत्पाद बेचता था। हालांकि, वेबसाइट पर जिन उत्पादों का ब्योरा था वे असल में थे ही नहीं। एफडीए अप्रूवल भी फर्जी था। पोर्टल में कंज्यूमर रजिस्ट्रेशन का भी कोई विकल्प नहीं था।
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भुगतान गेटवे की लगातार समस्याएं बनी हुई हैं। ईडी ने दावा किया कि वेबसाइट की जांच में सोशल मीडिया पर बहुत कम सक्रियता, निष्क्रिय व्हाट्सएप संपर्क नंबर और पारदर्शी संगठनात्मक विवरणों का अभाव पाया गया, जो सभी गैर-वास्तविक व्यावसायिक गतिविधि के निष्कर्ष को पुष्टि करते हैं।

22 करोड़ रुपये का आवास ऋण
ईडी के अनुसार, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) के लगभग 18 करोड़ रुपये का सार्वजनिक धन 2018 में प्रूडेंशियल ऋण मानदंडों का उल्लंघन करके एएन सेथुरमन को वितरित किया गया था। धनराशि ऐसी शर्तों के तहत उधार दी गई थी, जिनमें मूल राशि के साथ-साथ ब्याज को भी स्थगित करने की अनुमति थी।
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कई बार छूट दी गई और कोई उचित जांच-पड़ताल नहीं की गई थी। ईडी ने दावा किया कि इसके अलावा रिलायंस कैपिटल लिमिटेड की ओर से प्रूडेंशियल मानदंडों का उल्लंघन करके 22 करोड़ रुपये का आवास ऋण प्रदान किया गया। इसमें आरोप लगाया गया है कि इन ऋणों का बड़ा हिस्सा आखिरकार गबन कर लिया गया और उसका भुगतान नहीं किया गया।






