डेली संवाद, अमृतसर। Dog Bite: पंजाब में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हालत बहुत चिंताजनक है। रोजाना करीब 850 केस डॉग बाइट के सामने आ रहे हैं। पिछले सात महीनों में 1.88 लाख लोग कुत्ते के काटने का शिकार हुए है।

2023 में 439 मामले सामने आए
पंजाब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में पूरे राज्य में 2 लाख 13 हजार 521 कुत्ते के काटने के मामले दर्ज हुए, जबकि 2023 के 2 लाख 02 हजार 439 मामले सामने आए थे। लेकिन इस साल ये गिनती बीते तीन सालों में सबसे अधिक होती दिख रही है।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देशभर में डॉग लवर प्रदर्शन पर उतर आए हैं। आवारा कुत्तों को लेकर आम जनता दो हिस्सों में बंटी हुई हे। एक जो कुत्तों को न हटाने के हक में हैं, दूसरे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन कर रही है। लेकिन इस बीच सरकारें अपने कर्तव्यों से भागती दिख रही है।
अमृतसर सबसे अधिक प्रभावित राज्य
पंजाब (Punjab) के कई नगर निगमों व परिषदों ने कुत्तों की नसबंदी का प्रोजेक्ट शुरू कर रखा है। इससे कुत्तों की बढ़ोतरी में हल्की कमी तो आई है, लेकिन जितने अधिक कुत्ते इस समय सड़कों पर हैं, वे अभी भी चिंता का कारण बने हुए हैं।
अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2025 में जुलाई महीने तक अमृतसर में सबसे ज्यादा 29 हजार 504 मामले सामने आए। लुधियाना में 21 हजार 777 और पटियाला में 14 हजार 120 मामले दर्ज हुए हैं।

राज्यों को कदम उठाने की अपील
एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने 17 जुलाई को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर मादा कुत्तों की नसबंदी को प्राथमिकता देने की सलाह दी है। बोर्ड ने बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा और कुत्तों के टीकाकरण आदि कदम उठाने की भी सलाह दी है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि 70% कुत्तों की नसबंदी से उनकी आबादी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। लेकिन सरकारें इस आंकड़े को छूने में विफल रही हैं।

रोजाना 25 कुत्तों की हो रही नसबंदी
अमृतसर नगर निगम का दावा है कि वह नसबंदी अभियान से इस समस्या पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इसकी धीमी रफ्तार पर सवाल उठ रहे हैं। फतेहगढ़ शुकरचक और नरायणगढ़ स्थित एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) केंद्रों में रोजाना लगभग 25 कुत्तों की नसबंदी की जा रही है।
पिछले दो वर्षों में करीब 20 हजार कुत्तों की नसबंदी हुई है। लेकिन, नसबंदी की यह गति सड़कों और मोहल्लों में बढ़ रही कुत्तों की आबादी को रोकने के लिए काफी नहीं है।






