डेली संवाद, जालंधर। Punjab News: पंजाब पुलिस (Punjab Police) के दागी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) में जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका जालंधर (Jalandhar) के एडवोकेट व आरटीआई एक्टिविस्ट सिमरनजीत सिंह ने दायर की है। हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए मांग की गई है कि दागी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को पब्लिक डीलिंग पोस्ट से हटाया जाए। इसके साथ ही पीपीएस अधिकारियों को कैडर पोस्ट से छुट्टी करने की मांग भी की गई है।
पंजाब में कानून का मजाक
सिमरनजीत सिंह ने याचिका में कहा कि पंजाब में कानून का मजाक बनाया जा रहा है। कैडर पोस्ट जहां आईपीएस की तैनाती होनी चाहिए वहां पर पीपीएस अधिकारियों को तैनात किया हुआ है, जिसमें दलजिंदर सिंह ढिल्लों पीपीएस को एसएसपी पठानकोट, भूपिंदर सिंह पीपीएस को एसएसपी फिरोजपुर, हरविंदर सिंह विर्क को एसएसपी ग्रामीण जालंधर, गुरमीत सिंह पीपीएस को एसएसपी फाजिल्का, जशनदीप सिंह को एसएसपी मोगा, गगनदीप सिंह पीपीएस को एसएसपी मलेरकोटला (खेल कोटे से) के पद पर नियुक्त किया गया है।
भारतीय पुलिस सेवा कैडर नियम
यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर विचार करने की आवश्यकता है। कई अन्य पीपीएस अधिकारी भी हैं जिन्हें भारतीय पुलिस सेवा कैडर नियम 1954 और भारतीय पुलिस सेवा कैडर संख्या निर्धारण विनियम 1955 का उल्लंघन करते हुए विभिन्न जिलों के एसएसपी के रूप में तैनात किया गया है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय केवल भारतीय पुलिस सेवा अधिकारियों के संबंध में कैडर नियंत्रण प्राधिकरण है और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों सहित आईपीएस अधिकारियों की नोडल एजेंसी है।
कैडर पदों को आईपीएस अधिकारियों द्वारा भरा जाना है
पुलिस सेवा (आईपीएस) नियम 8 और 9 में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि कैडर पदों को आईपीएस अधिकारियों द्वारा भरा जाना है। इस संबंध में, आईपीएस नियम और केरल उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा ओ.पी. संख्या 16978/2001, लगेश दीवान बनाम केरल राज्य, 23.8.2001 को दिए गए निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आईपीएस कैडर के पद केवल आईपीएस अधिकारियों द्वारा ही भरे जाने हैं। इस संबंध में, राज्य सरकार ने आईपीएस संवर्ग नियमों का उल्लंघन करते हुए, इन पदों पर कुछ पीपीएस अधिकारियों को तैनात किया है।
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एडवोकेट सिमरनजीत सिंह ने अदालत में यह भी गुहार लगायी है कि सूबे में अपराधिक केसों का सामना कर रहे पुलिस अधिकारियों की तैनाती की हुई है। जिसमें जालंधर में तैनात डीसीपी नरेश डोगरा पर दर्ज अपराधिक केस का हवाला दिया हुआ है। वहीं डीसीपी मनप्रीत सिंह ढिल्लो भी इस पद के लिए योग्य नहीं है। लुधियाना के डीसीपी परमिंदर भंडाल व हरपाल सिंह स्पोर्टस कोटे से हैं।
जालसाजी का मामला दर्ज
अमृतसर में डीसीपी की कैडर पोस्ट पर भी आलम विजय सिंह तैनात है, जो कानून की उल्लंघना है। याचिकर्ता ने कहा है कि चौथी बटालियन के कमांडेंट परमपाल सिंह तैनात हैं, जिनके उपर आरोप है कि उनकी डिग्री नकली है। उनके उपर जालसाजी का मामला दर्ज है। मगध यूनिवर्सिटी से न केवल फर्जी डिग्री हासिल की बल्कि उसकी बिनाह पर नौकरी भी।
2023 में रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार एसपी गगनेश कुमार को जेल में डेपुटेशन पर भेजकर प्रोमोशन दिया गया, वह खुद जेल यात्रा कर जमानत पर बाहर हैं। जालंधर में रामामंडी के एसएचओ मनजिंदर सिंह पर भी अपराधिक केस दर्ज है। पीएपी के डीआईजी इंदरबीर सिंह पर विजिलेंस ब्यूरो ने मामले दर्ज कर रखे हैं और उनके केस में चार्जशीट फाइल हो चुकी है। इंदरबीर सिंह पीएम मोदी की सिक्योरिटी में लापरवाही के भी आरोपी हैं।
रिश्वतखोरी के केस में जेल
एसपी अमनदीप कौर जिसपर करप्शन का केस है वह भी आप्रेशनल पद पर तैनात है। भोगपुर में तैनात एसएचओ राजेश कुमार को भी रिश्वतखोरी के केस में जेल जाना पड़ा था और उसको अब फील्ड में लगाया हुआ है। हाल ही में कर्नल बाठ का केस हुआ है, जिसमें पंजाब पुलिस के चार इंस्पेक्टरों के खिलाफ सीबीआई के पास केस चल रहा है। इस घटना से साफ है कि पंजाब पुलिस में व्यापक स्तर पर सुधार की आवश्यकता है।








