डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: पंजाब अल्पसंख्यकआयोग के चेयरमैन पर जतिंदर उर्फ गौरव मसीह की नियुक्ति विवादों में फंस गई है। इसे लेकर जालंधर (Jalandhar) के आरटीआई एक्टिविस्ट व एडवोकेट ने जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी है। याचिकर्ता का तर्क है कि पंजाब राज्य अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त करते समय कानून का मजाक बनाया है और श्रेष्ठता, क्षमता ,अखंडता का ध्यान नहीं रखा गया है।
यह भी पढ़ें: थाईलैंड घूमने के लिए नहीं है वीजा की जरूरत, बैग और पासपोर्ट उठाइए और घूम आइए
एडवोकेट सिमरनजीत सिंह ने याचिका दायर करते हुए कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय से कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति नहीं हैं, वह पंजाब (Punjab) राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का पद धारण करने के लिए अयोग्य हैं। इसके अलावा, वह सिविल न्यायालय की बैठकों की अध्यक्षता करने में भी सक्षम नहीं हैं। पंजाब राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत नामित किया गया है।

कानून के साथ खिलवाड़ किया गया
अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के लिए पात्र व्यक्ति में अनुभव, योग्यता, चरित्र और सत्यनिष्ठा जैसे कुछ सकारात्मक गुण भी होने चाहिए। नियुक्ति करते समय न केवल नियुक्त किए जाने वाले उम्मीदवार की व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा, बल्कि एक संस्था के रूप में आयोग की सत्यनिष्ठा को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। जबकि नियुक्ती करते समय सबकुछ नजरअंदाज कर कानून के साथ खिलवाड़ किया गया है।
जतिंदर उर्फ गौरव के पास स्नातक की डिग्री नहीं है और वह अल्पसंख्यक समुदाय का कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति नहीं है, इसलिए वह पंजाब राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का पद धारण करने के लिए अयोग्य है। इस श्रेय में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए उसका कोई उल्लेखनीय योगदान नहीं है। कानून के मुताबिक, जिसकी तैनाती होती है उनके पूर्ववृत्त के संबंध में गहन और सूक्ष्म जाँच होनी चाहिए।

पंजाब पुलिस के प्रतीक चिन्ह का भी दुरुपयोग
ऐसे उच्च पदों पर नियुक्तियों में ईमानदारी और योग्यता का उचित रूप से विचार और मूल्यांकन किया जाना चाहिए। बहुत समय पहले, जतिंदर गौरव मसीह पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जतिंदर गौरव मसीह ने अपने निजी वाहन स्कॉर्पियो संख्या PB08-DS-0693 पर पंजाब पुलिस के प्रतीक चिन्ह का भी दुरुपयोग किया है, जिस पर वह लाल/नीली बत्ती का दुरुपयोग कर रहा है।






