डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar Fire Workers Association Diwali Patakha Market News Update: दीवाली आ गई है, लेकिन पटाखा मार्केट का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ जहां पटाखा मार्केट को लेकर फायर वर्कस एसोसिएशन हाईकोर्ट चला गया, वहीं पठानकोट चौक के पास सर्कस ग्राउंड में अस्थाई दुकानों को बनाने का काम जारी है।
जालंधर (Jalandhar) में फायर वर्कस एसोसिएशन (Fire Workers Association) की मांग है कि 20 से अधिक लाइसेंंस जारी किया जाए। इसे लेकर अदालत 16 अक्टूबर को सुनवाई करेगी। एसोसिएशन ने वर्ष 2016 को लागू नियमों और 9 वर्ष बाद बदले हालातों का तर्क देकर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अपील दायर की है।
सर्कस ग्राउंड में पटाखा मार्केट
न्यायालय ने सवाल किया क्या लाइसेंस की संख्या कम या अधिक करने में उनको हस्तक्षेप करना पड़ेगा। अभी उच्च न्यायालय में फैसला सुरक्षित है इसके बावजूद पठानकोट चौक के पास सर्कस ग्राउंड में पटाखा मार्केट में मंगलवार तक बीस से अधिक शैड का ढांचा खड़ा कर दिया गया है।
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गौरतलब है कि हर वर्ष त्योहारों पर बल्टर्न पार्क में पटाखा मार्केट लगती थी लेकिन अब इसे स्पोटर्स हब के लिए विकसित किया जा रहा है, यहां स्पोटर्स कांप्लेक्स तैयार हो रहा है। इसी वजह से इस बार पटाखा मार्केट के लिए जगह का चयन मुसीबत बना हुआ था।

निजी तौर पर मार्केट की व्यवस्था
इससे पहले लायलपुर खालसा स्कूूल नकोदर रोड, लम्मा पिंड के पास घास मंडी फिर बेअंत सिंह पार्क की बात चली लेकिन नए नियमों कारण इन सभी जगह का चयन नहीं हो सका। पठानकोट चौक के सर्कस को पुलिस की एनओसी मिली, यहां व्यापारियों ने निजी तौर पर मार्केट की व्यवस्था की है।
इस बार दो चुनौतियां पटाखा व्यापारियों के सामने है पहली निजी जगह पर पटाखा मार्केट का बंदोबस्त, दूसरा आपसी गुटबंदी को दूर करना और तीसरा 20 लाइसेंस की संख्या को बढ़ाने का प्रयास अन्यथा 20 लाइसेंस पर अधिक स्टाल लगाने होंगे।
फायर वर्कस एसोसिएशन की याचिका
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय 16 अक्टूबर को फायर वर्कस एसोसिएशन की याचिका पर फैसला होना है। एसोसिएशन ने तर्क दिया है कि वर्ष 2017 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने फैसला किया था कि वर्ष 2016 में जारी लाइसेंस के 20 फीसदी लाइसेंस ही जारी किए जाए।
फायर वर्कस एसोसिएशन ने कहा इससे उनके कारोबार के अधिकार का मौलिक हनन हुआ है। 20 प्रतिशत की सीमा तब जनसंख्या के आधार पर तय की गई थी अब हालात बदल चुके है, जन संंख्या बढ़ चुकी है। हालांकि इस पर उच्च न्यायालय तर्क दे चुकी है कि क्या ये तय करना अदालत का काम है कि सीमा 20 प्रतिशत हो या 30 प्रतिशत हो। अब फैसला 16 अक्टूबर को आएगा।








