डेली संवाद, चंडीगढ़। Medicines Sample Fail CDSCO Drugs Quality Test Punjab: पंजाब से बड़ी ही चौंकानी वाली खबर है। पंजाब में बनने वाली 11 दवाओं के सैंपल फेल हो गए हैं। इसमें 3 कफ सिरफ भी शामिल है। इसके बाद कई दवा निर्माता कंपनियां शक के घेरे में है। जांच शुरू हो गई है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने देशभर में दवाइयों का सैंपल भरा था। इसके बाद दवाओं की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, कुल 112 दवाओं के सैंपल गुणवत्ता परीक्षण में फेल हुए हैं, जिनमें पंजाब (Punjab) में निर्मित 11 दवाएं भी शामिल हैं।
इन प्रदेशों की दवाओं के सैंपल फेल
रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक 49 दवाएं हिमाचल प्रदेश, 16 गुजरात, 12 उत्तराखंड, 11 पंजाब और 6 मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों से संबंधित हैं। सबसे चौकाने वाली बात यह है कि इनमें तीन कफ सिरप भी फेल पाए गए, जिनमें से एक नकली है। इसमें जालंधर में बनने वाली एक कंपनी की पैरासिटामोल की टेबलेट भी फेल हो गई।
इन दवाओं का उपयोग दिल, कैंसर, मधुमेह, हाई बीपी, दमा, संक्रमण, दर्द, सूजन, एनीमिया और मिर्गी जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में किया जाता है। कुछ दिन पहले ही पंजाब सरकार ने 8 दवाओं के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी। इनमें कोल्ड्रिफ कफ सिरप भी शामिल था।

दवाओं को बाजार से हटाने के आदेश
अब सीडीएससीओ की रिपोर्ट के बाद इन दवाओं से संबंधित बैच को भी बाजार से हटाने की प्रक्रिया तेज की गई है। साथ ही सभी मेडिकल स्टोर, डॉक्टरों और अस्पतालों को आदेश दिया है कि वे इन दवाओं का स्टॉक तुरंत जमा कराएं और मरीजों को सुरक्षित विकल्प उपलब्ध कराएं।
52 लैब्स में हुई दवाओं की जांच
सितंबर 2025 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर की केंद्रीय और राज्य स्तरीय लैब्स में 52 दवाएं केंद्र और 60 दवाएं राज्यों के स्तर पर मानकों पर खरी नहीं उतरीं। सबसे अधिक 49 दवाएं हिमाचल प्रदेश, 16 गुजरात, 12 उत्तराखंड, 11 पंजाब, 6 मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों से संबंधित हैं।
पंजाब में निर्मित जिन 11 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, उनकी सैंपलिंग के बाद संबंधित फार्मा कंपनियों को नोटिस जारी कर दिया गया है। इन दवाओं से संबंधित बैच भी बाजार से हटाने की प्रक्रिया तेज की गई है।

कोल्ड्रिफ पर एक्शन
पंजाब सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सिर्फ राज्य में बनी दवाओं पर ही नहीं, बल्कि हाल ही में चर्चा में रही कफ सिरप कोल्ड्रिफ को भी तुरंत प्रतिबंधित कर दिया था, जिससे मध्यप्रदेश, राजस्थान में बच्चों की मौत की घटनाएं हुई थीं।
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स्वास्थ्य विभाग ने सभी सरकारी अस्पतालों में इसके इस्तेमाल, बिक्री और खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार ने सभी मेडिकल स्टोर, डॉक्टरों और अस्पतालों को आदेश दिया है कि इस सिरप का स्टॉक तुरंत जमा कराएं।
ये 11 दवाएं फेल हुई
- पैरासिटामोल, फेनिलफ्रीन हाइड्रोक्लोराइड और क्लोरफेनिरामाइन मेलिएट सस्पेंशन (जालंधर) उपयोग: जुकाम, खांसी और एलर्जी में। रिजेक्शन कारण: एस्से टेस्ट में विफल।
- एजेन-20 रपेब्राजोल टैबलेट्स आईपी (मोहाली) उपयोग: पेट की एसिडिटी कम करने के लिए। रिजेक्शन कारण: एसिड स्टेज और बफर स्टेज के परीक्षण में गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतरा।
- पेंजोल-40 टैबलेट्स पैंटोप्रेजोल ग्यास्ट्रो रेसिस्टेंट आईपी 40 mg (मोहाली) उपयोग: पेट की एसिडिटी और अल्सर के इलाज में। रिजेक्शन कारण: बफर स्टेज में पैंटोप्रेजोल के घुलने (डिसोल्यूशन) के परीक्षण में विफल।
- रैक्सोफेन इबुप्रोफेन और पैरासिटामोल टैबलेट्स आईपी (मोहाली) उपयोग: दर्द और बुखार कम करने के लिए। रिजेक्शन कारण: पैरासिटामोल और इबुप्रोफेन के घुलने के परीक्षण में असफल।
- पोडोरम सेफपोओक्सिम टैबलेट्स आईपी 200 mg (गुरदासपुर) उपयोग: बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज में। रिजेक्शन कारण: डिसोल्यूशन और सेफपोओक्सिम की मात्रा परीक्षण में खामी।
- साइप्रोहेप्टाडीन टैबलेट्स आईपी 4 mg (गुरदासपुर) उपयोग: एलर्जी और अस्थमा में राहत के लिए। रिजेक्शन कारण: साइप्रोहेप्टाडीन हाइड्रोक्लोराइड की मात्रा परीक्षण में अंतर।
- लोपरामाइड हाइड्रो क्लोराइड कैप्सूल्स आईपी 2 mg (गुरदासपुर) उपयोग: दस्त रोकने के लिए। रिजेक्शन कारण: डिसोल्यूशन टेस्ट में विफल।
- पैंज़ोल पैंटोप्रेज़ोल सोडियम टैबलेट्स आईपी (गुरदासपुर) उपयोग: पेट की एसिडिटी के इलाज में। रिजेक्शन कारण: डिसोल्यूशन (बफर स्टेज) में मानकों पर खरा नहीं उतरा।
- एमलोकेयर-एटी अम्लोडिपाइन और एटेनोलोल टैबलेट्स आईपी (गुरदासपुर) उपयोग: उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए। रिजेक्शन कारण: अम्लोडिपाइन और एटेनोलोल की मात्रा परीक्षण में कमी।
- अमोक्सिसिलिन और पोटैशियम क्लावुलानेट टैबलेट्स आईपी (एसएएस नगर) उपयोग: बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज में। रिजेक्शन कारण: एस्से और डिसोल्यूशन में गुणवत्ता समस्या।
- फेकोपोड सेफपोओक्सिम प्रोक्षेटिल टैबलेट्स 200 mg (डेराबस्सी) उपयोग: संक्रमण के इलाज में। रिजेक्शन कारण: डिसोल्यूशन टेस्ट में विफल।








