Jalandhar News: जालंधर नगर निगम में 3 महीने से टैंडर ‘होल्ड’ कर इंजीनियर खुद बन बैठे ‘ठेकेदार’

नगर निगम में कुछ इंजीनियरों द्वारा अपने रिश्तेदारों के नाम पर सड़क का ही ठेका नहीं लिया जा रहा है, बल्कि ट्रैक्टर ट्रालियों का ठेका लिया गया है। चूंकि इस काम में खुद कुछ इंजीनियर संलिप्त हैं, जिससे इसका टैंडर खोलने में बड़े इंजीनियर दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं।

Daily Samvad
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Highlights
  • सफाई के लिए टैंडर निकाला, लेकिन आज तक नहीं खुला
  • ट्रैक्टर ट्रालियों के नाम पर निगम में चल रही है धांधली
  • जुलाई में खुलने वाला टैंडर आखिर क्यों है होल्ड?

डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: नगर निगम जांलधर (Municipal Corporation Jalandhar) में इंजीनियरों और अफसरों की मनमर्जी है। यहां कुछ इंजीनियर जहां अपने रिश्तेदारों के नाम से ठेकेदारी कर रहे हैं, वहीं ठेकेदारों द्वारा भरे गए टैंडर को खोला ही नहीं जा रहा है। शहर की साफ सफाई के लिए जुलाई में टैंडर काल किया गया था, टैंडर भरे भी गए, लेकिन अफसरों ने इसे आज तक नहीं खोला।

जालंधर (Jalandhar) नगर निगम (Municipal Corporation) के हैल्थ ब्रांच की तरफ से 8 जुलाई 2025 को शहर में कूड़े की लिफ्टिंग के लिए टैंडर काल किया गया। इसमें अलग अलग विधानसभा क्षेत्रों के लिए अलग अलग टैंडर निकाले गए। ये टेंडर जुलाई में ही खुलने थे, लेकिन इसे आज तक नहीं खोला गया।

बिना टैंडर के ही काम करवाया जा रहा

जानकारी के मुताबिक टैंडर को न खोलकर नगर निगम (Municipal Corporation)  के अफसर अपने हिसाब से ठेकेदारों से काम कर रहे हैं। शहर में ट्रैक्टर ट्रालियों के जरिए कूड़े की लिफ्टिंग होती है। करीब 100 ट्रैक्टर ट्रालियां इस काम में लगाए गए हैं। जिसके लिए टैंडर निकाला गया। अब बिना टैंडर के ही काम करवाया जा रहा है।

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उधर, नगर निगम (Municipal Corporation) में कुछ इंजीनियरों द्वारा अपने रिश्तेदारों के नाम पर सड़क का ही ठेका नहीं लिया जा रहा है, बल्कि ट्रैक्टर ट्रालियों का ठेका लिया गया है। चूंकि इस काम में खुद कुछ इंजीनियर संलिप्त हैं, जिससे इसका टैंडर खोलने में बड़े इंजीनियर दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं। इस काम को अपने मातहत कुछ इंजीनियरों के रिश्तेदारों की फर्म से करवा रहे हैं।

लाखों रुपए का गबन कर रहे हैं

सूत्र बताते हैं कि रिश्तेदारों के नाम पर ठेकेदारी करने वाले कुछ इंजीनियर ट्रैक्टर ट्राली का ठेका लेकर लाखों रुपए का गबन कर रहे हैं। इसमें कुछ इंजीनियर अपने पिता, भाई और रिश्तेदार के नाम पर ठेका लेकर काम करते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि सख्ती के बाद भी ये इंजीनियर सरकारी खजाने को चपत लगाने में जुटे हुए हैं।

यह भी पता चला कि नगर निगम के कुछ इंजीनियर बिल्डर्स भी बन गए हैं। ये इंजीनियर रोड बनाने, मरम्मत करने और ट्रैक्टर ट्रालियों से कूड़ा ढोने के साथ साथ घर बनाकर भी बेचते हैं। इसमें काम में तीन बड़े इंजीनियर की मिलीभगत है। ये वे इंजीनियर हैं, जो कई साल से नगर निगम जालंधर में चिपके हैं, जिसका पिछले कई साल से ट्रांसफर ही नहीं हुआ।

यह है वह टैंडर जो आज तक नहीं खुला















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