डेली संवाद, नई दिल्ली। Delhi Airport Flights Delay Reason News Update: दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI Airport) पर 300 से ज्यादा उड़ाने प्रभावित हुई हैं। एयरपोर्ट पर शुक्रवार सुबह से ही यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आज सुबह से अभी तक 300 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित हो चुकी हैं। अभी शाम तक यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।
दिल्ली एयरपोर्ट (Delhi Airport) पर शुक्रवार सुबह से ही जैसे-जैसे घड़ी की सूई आगे बढ़ रही है, यह संकट और गहराता ही जा रहा है। वहीं, सुबह से जैसे-जैसे समय गुजरता गया तो समस्या और बड़ी होती चली गई है। दिल्ली से विभिन्न गंतव्यों को जाने वाली उड़ानों में भारी विलंब की स्थिति को देखते हुए पूरे देश की उड़ानों पर असर दिखने लगा है।

उड़ान निर्धारित समय से दो ढाई घंटे की देरी
एयरपोर्ट पर हुई एयर ट्रैफिक कंट्रोल की समस्या (ATC Technical Issue) के कारण अब तक 300 से अधिक उड़ान निर्धारित समय से दो ढाई घंटे की देरी से हैं। 3 प्रतिशत उड़ान रद भी कर दी गईं हैं। दरभंगा की स्पाइसजेट की उड़ान रद हो गई है। कुछ शहरों की उड़ान पांच सात घंटे तक भी विलंब से रहीं।
वहीं, दिल्ली से बनारस की साढ़े सात घंटे लेट रही। इसी तरह इंडिगो की देहरादून की उड़ान पांच घंटे लेट हुई। विमान क्रू और एटीसी के बीच कम्युनिकेशन ठप हो जाने के कारण ये समस्या बनी। लंबी प्रतिक्षा के बाद एटीसी ने मैन्युअली काम करना शुरू किया, जिसके बाद कुछ स्थिति सुधरी, लेकिन उड़ान में देरी और रद होने का क्रम दिनभर जारी रहेगा।
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बताया गया कि समय बीतने के साथ इसका असर आगमन की उड़ानों पर भी नजर आएगा। क्योंकि कई उड़ानें ऐसी है, जो दिल्ली से प्रस्थान के बाद गंतव्य से फिर दिल्ली लौटती हैं। वे अब या तो विलंबित होंगी या उन्हें रद करना पड़ेगा। कुल मिलाकर आज का दिन उड़ानों के लिहाज सही नहीं है।

क्यों हो रही उड़ान में देरी
स्पाइसजेट, एयर इंडिया, इंडिगो और अकासा एयर ने बताया कि दिल्ली हवाई अड्डे पर एटीसी सिस्टम में तकनीकी खराबी के चलते उनकी फ्लाइट्स प्रभावित हो रही हैं। इसी वजह से यात्रियों को देरी का सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) ने कहा कि एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) सिस्टम में आई तकनीकी दिक्कत की वजह से उड़ानें विलंबित हैं। बता दें कि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI Airport) देश का सबसे व्यस्त एयरपोर्ट है। यहां से रोजाना 1,500 से ज्यादा उड़ानें आती-जाती हैं।
क्या है तकनीकी खराबी की वजह
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इस मामले पर एक्स (X) पर डाली एक पोस्ट में कहा कि दिल्ली हवाई अड्डे पर उड़ान संचालन में देरी हो रही है, क्योंकि एयर ट्रैफिक कंट्रोल डेटा को सपोर्ट करने वाली ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (एएमएसएस) में तकनीकी खराबी आई है।
#WATCH भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) ने ट्वीट किया, “एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल डेटा को सपोर्ट करने वाले ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में तकनीकी खराबी के कारण दिल्ली हवाई अड्डे पर उड़ान संचालन में देरी हो रही है। नियंत्रक उड़ान योजनाओं को मैन्युअल रूप से प्रोसेस कर रहे… pic.twitter.com/gsuITyoJB3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 7, 2025
नियंत्रक फ्लाइट प्लान को मैन्युअली प्रोसेस कर रहे हैं, जिससे कुछ देरी हो रही है। तकनीकी टीमें सिस्टम को जल्द से जल्द बहाल करने में जुटी हुई हैं। हम सभी यात्रियों और हितधारकों के समझ और सहयोग की सराहना करते हैं।

अमृतसर की फ्लाइट भी लेट
- अमृतसर एयरपोर्ट पर दिल्ली आने-जाने वाली 5 फ्लाइट्स पर असर
- इंडिगो- फ्लाइट 6ई2506- एक घंटा लेट
- एयर इंडिया फ्लाइट एआई.1884- 5 घंटा लेट
- एयर इंडिया फ्लाइट एआई496- 1:15 घंटा लेट
- इंडिगो फ्लाइट 6ई6848- 2 घंटा लेट
- एयर इंडिया एआई492- आधा घंटा लेट
ऑटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम?
AMSS (ऑटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम) एयर ट्रैफिक कंट्रोल सर्विस से जुड़ा कंप्यूटर नेटवर्क सिस्टम है। AMSS के जरिए हजारों टेक्स्ट-बेस्ड मैसेज हर दिन पायलट, ग्राउंड स्टाफ और दूसरे एयरपोर्ट्स तक रीयल-टाइम भेजे जाते हैं।
इन मैसेज में क्या होता है?
- हर फ्लाइट का पूरा रूट, ऊंचाई, फ्यूल आदि की जानकारी
- फ्लाइट ने कब उड़ान भरी
- फ्लाइट कब लैंड हुई
- उड़ान में देरी की सूचना
- प्लान बदला या रद्द किया गया
- मौसम संबंधी अपडेट
- एयरस्पेस में चेतावनियां

यह कैसे काम करता है?
एयरलाइन या पायलट फ्लाइट-प्लान डालते हैं। AMSS उस डेटा को चेक करके सही जगह (ATC, दूसरे एयरपोर्ट, संबंधित एयरलाइन) तक पहुंचाता है। अगर रूट या मौसम बदलता है, तो सिस्टम तुरंत सभी को अपडेट भेजता है। यह पूरे एयर ट्रैफिक रूट को सिंक रखता है।
अगर सिस्टम फेल हो जाए तो…
- ऑटोमेटिक मैसेज बंद: फ्लाइट-प्लान, रूट क्लियरेंस और अपडेट मैन्युअली (हाथ से) करने पड़ते हैं।
- ATC पर काम का बोझ: हर मैसेज या मंजूरी अब इंसानों को खुद भेजनी होती है।
- देरी और भीड़: जब फ्लाइट-प्लान अप्रूव होने में समय लगता है, तो टेकऑफ-लैंडिंग धीमी हो जाती है। इससे एयरपोर्ट पर भीड़ बढ़ जाती है।
- सुरक्षा जोखिम: ऑटोमेटिक कोऑर्डिनेशन न होने पर (human error) की संभावना बढ़ जाती है।






