डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab: पंजाब राज्य सूचना आयोग ने एक महत्वपूर्ण और मिसाल कायम करने वाला निर्णय लेते हुए लुधियाना (Ludhiana) के एक अपीलकर्ता गुरमेज लाल द्वारा राज्य की विभिन्न जन प्राधिकरणों से अस्पष्ट और भारी मात्रा में जानकारी मांगने के लिए दायर की गई 75 सेकंड अपीलों का निपटारा कर दिया है।
रिकॉर्ड मांगे गए थे
पंजाब राज्य सूचना आयोग के चेयरमैन इंदरपाल सिंह धन्ना ने बताया कि राज्य सूचना आयुक्त संदीप सिंह धालीवाल (Inderpal Singh Dhanna) ने अंतिम आदेश सुनाते हुए कहा कि अपीलकर्ता को RTI अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के अनुसार अपनी RTI आवेदन-पत्रों को विशेष और पॉइंट्स के आधार पर दोबारा तैयार करने के लिए कई अवसर दिए गए थे। हालांकि, कई अंतरिम आदेशों के माध्यम से बार-बार निर्देश देने के बावजूद अपीलकर्ता इस पालन में असफल रहा।

आयोग ने पाया कि अपीलकर्ता के आवेदन बड़े पैमाने पर टेम्पलेट-आधारित थे, जिनमें ऐसे प्रश्न शामिल थे जो बार-बार दोहराए गए और अनावश्यक थे। इनमें न केवल तृतीय पक्ष के रिकॉर्ड मांगे गए थे, बल्कि विभागों से विशाल मात्रा में डाटा संग्रह की भी अपेक्षा की गई थी। ऐसी मांगें RTI अधिनियम की धारा 7(9) का उल्लंघन करती हैं, जो किसी जन प्राधिकरण के संसाधनों के अनुचित उपयोग के कारण सूचना के खुलासे पर रोक लगाती है।
PIOs के कार्यालयों पर अनावश्यक बोझ डालता
चिंता व्यक्त करते हुए आयोग ने कहा कि RTI प्रक्रिया का इस प्रकार अनुचित उपयोग जन सूचना अधिकारियों (PIOs) के कार्यालयों पर अनावश्यक बोझ डालता है और आयोग के बहुमूल्य समय की भी व्यर्थ बर्बादी करता है। इसके परिणामस्वरूप वास्तविक अपीलों के निपटारे में देरी होती है और लंबित मामलों की संख्या बढ़ती है, जिससे RTI अधिनियम के तहत पारदर्शिता और जवाबदेही के उद्देश्यों को नुकसान पहुंचता है। आयोग ने स्पष्ट किया कि सूचना का अधिकार पारदर्शिता बढ़ाने के लिए दिया गया है, न कि परेशानी या अव्यवस्था फैलाने के लिए।
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आवेदकों से अपेक्षा की जाती है कि वे ऐसी सूचनाएँ मांगें जो स्पष्ट, विशिष्ट और प्रत्यक्ष रूप से उनकी शिकायत या जनहित से संबंधित हों। सैकड़ों अस्पष्ट और व्यापक आवेदन दाखिल कर कानून का दुरुपयोग करने से यह प्रणाली मजबूत होने के बजाय उसके कार्य में बाधा उत्पन्न होती है। कार्यवाही समाप्त करते हुए राज्य सूचना आयुक्त संदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि यह आदेश RTI के आवेदकों के लिए एक संदेश और सबक है कि वे अपने अधिकारों का प्रयोग जिम्मेदारी, संयम और न्यायपूर्ण भावना के साथ करें, ताकि कानून के उद्देश्य और जन प्राधिकरणों के प्रशासनिक संसाधनों—दोनों का सम्मान बना रहे।






