डेली संवाद, कोच्चि। ED Raid News Update: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़े वित्तीय घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में पूर्व विधायक और उनसे जुड़े कई ठिकानों पर कार्रवाई की। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के तहत जांच एजेंसी ने व्यापक सर्च ऑपरेशन चलाया।
जानकारी के मुताबिक ईडी (ED) ने केरल में कई जगहों पर छापेमारी की। ईडी के अफसरों ने बताया कि मलमकुलम कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स पी वी आर डेवलपर्स, मेसर्स बिस मंजेरी एलएलपी, मेसर्स केरल फाइनेंस कॉरपोरेशन (मलप्पुरम शाखा) से जुड़े आवासीय, व्यावसायिक और संस्थागत परिसरों और पीवी अनवर और अन्य से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों के आवासों पर तलाशी अभियान चलाया।

साल 2015 में धोखाधड़ी आई सामने
यह कार्रवाई केरल वित्तीय निगम (केएफसी) द्वारा 2015 में धोखाधड़ी से ऋण मंजूरी से उत्पन्न धन शोधन जांच के संबंध में की गई। तलाशी के दौरान, बिक्री समझौतों, वित्तीय दस्तावेजों और संपत्ति के कागजात से संबंधित विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य, कई रिकॉर्ड और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं।
ईडी के अधिकारियों के मुताबिक मामला वर्ष 2015 में केरल फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन (केएफसी) द्वारा जारी किए गए संदिग्ध और धोखाधड़ीपूर्ण लोन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर आधारित है। ईडी ने जिन जगहों पर सर्च की, उनमें मेसर्स मलमकुलम कंस्ट्रक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड, पीवीआर डेवलपर्स, बिस मंजेरी एलएलपी और केएफसी की मलप्पुरम शाखा से जुड़े रेजिडेंशियल, बिजनेस और संस्थागत ठिकाने शामिल थे।
करोड़ों रुपए का लोन लेकर फ्राड
ये सभी ठिकाने 7.50 करोड़, 3.05 करोड़, 1.50 करोड़ और 1.56 करोड़ रुपए के लोन से जुड़े लेन-देन के दायरे में आते हैं। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि इन लोन को मंजूर करने में भारी अनियमितताएं हुईं और उसी कोलैटरल प्रॉपर्टी का बार-बार इस्तेमाल किया गया, जिसके कारण कुल एनपीए 22.30 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
तलाशी के दौरान ईडी को ऐसे ठोस सबूत मिले, जिनसे पता चलता है कि लोन फंड को मंजूर गतिविधियों के बजाय अन्य परियोजनाओं में लगाया गया। एजेंसी को नामधारी शेयरधारकों और डायरेक्टर्स के उपयोग, धन के गलत इस्तेमाल और कई संपत्तियों के बेनामी मालिकाना होने के संकेत मिले।
पीवीआर मेट्रो विलेज में निवेश
पीवी अनवर ने स्वीकार किया कि मलमकुलम कंस्ट्रक्शन्स के वास्तविक लाभार्थी वही हैं, जबकि कंपनी आधिकारिक कागजों में उनके भतीजों और ड्राइवर के नाम पर रजिस्टर्ड है। उन्होंने यह भी माना कि लोन की बड़ी रकम को उनके बड़े टाउनशिप प्रोजेक्ट “पीवीआर मेट्रो विलेज” में निवेश किया गया।
ईडी ने संसाधनों की जांच में पाया कि अनवर के सहयोगियों के बयान भी इसी ओर इशारा करते हैं कि सभी दस्तावेज उनके निर्देश पर साइन किए जाते थे, फंड्स को आपस में जुड़ी इकाइयों में ट्रांसफर किया जाता था और कई बार कैश कलेक्शन आधिकारिक बहीखातों से बाहर किया जाता था।
बिना मंजूरी के कामर्शियल निर्माण
इसके अलावा यह भी खुलासा हुआ कि पीवीआर मेट्रो विलेज में कई इमारतें स्थानीय निकाय से अनिवार्य मंजूरी लिए बिना ही बनाई गईं और इनमें अपराध से अर्जित धन का निवेश किया गया। सर्च के दौरान बिस मंजेरी एलएलपी और मेट्रो विलेज से जुड़े परिसरों में स्कूल, अम्यूजमेंट पार्क, रिज़ॉर्ट, विला प्रोजेक्ट्स और अपार्टमेंट ब्लॉक्स जैसे बड़े निर्माण मिले, जो लोन फंड्स के दुरुपयोग की पुष्टि करते हैं।
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ईडी ने इस कार्रवाई में कई स्कूल एग्रीमेंट्स, वित्तीय दस्तावेज़, प्रॉपर्टी पेपर्स और डिजिटल डिवाइस बरामद किए। एजेंसी ने 15 बेनामी बैंक खातों की पहचान भी की, जिनसे संदिग्ध लेनदेन के सबूत मिले हैं। छापेमारी के दौरान केएफसी अधिकारियों के बयान में कई गंभीर खामियां सामने आईं।
ईडी ने जब्त कर लिए सामान
अधिकारियों ने स्वीकार किया कि पुराने मॉर्गेज की ठीक से जांच नहीं की गई, पहले की वैल्यूएशन रिपोर्ट को बिना नए निरीक्षण के दोबारा इस्तेमाल किया गया और पुराने कर्ज की जानकारी लेने में भी कोताही बरती गई।
ईडी जब्त सामग्री की जांच कर रही है ताकि अपराध से हुए लाभ, लोन फंड्स के दुरुपयोग, फंड लेयरिंग और बेनामी संपत्तियों के पूरे दायरे की पहचान की जा सके। एजेंसी ने कहा है कि पूरे मामले की विस्तृत जांच जारी है।








