डेली संवाद, नई दिल्ली। Punjab News: श्री राम जानकी जन कल्याण समिति सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत अशीष दास जबलपुर, ने आज नई दिल्ली में राज्य मंत्री केंद्रीय कोयला मंत्री सतीश चंद्र दूबे एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तथा राज्यसभा सांसद अनिल के. एंटनी के साथ शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर उन्होंने केंद्र सरकार से राष्ट्रीय विकास में गौ-सुरक्षा, गौ-संवर्धन और गौ-आधारित अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक “राष्ट्रीय गौ-सुरक्षा नीति” तैयार कर इसे तत्काल देश भर में लागू करने काआग्रह किया।
इस महत्वपूर्ण बैठक में महंत अशीष दास महाराज, प्रो. सरचंद सिंह ख्याला, डॉ. जोगिंदर सिंह सलारिया, डॉ. दुर्गेश कुमार साहू, गोधरा फाउंडेशन तथा अन्य विशेषज्ञों द्वारा तैयार “गौ-संभाल एवं गौ-आधारित विकास परियोजना” का विस्तृत मसौदा सौंपा और निवेदन किया कि इसे आगामी लोकसभा शीतकालीन सत्र में एक विधेयक के रूप में प्रस्तुत कर पारित किया जाए।
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भाजपा पंजाब (Punjab) के प्रवक्ता प्रो. सरचंद सिंह ख्याला ने बताया कि भारत की प्राचीन वैदिक सभ्यता में गाय को केवल एक पशु नहीं माना गया, बल्कि उसे धार्मिक आस्था, आर्थिक व्यवस्था, आयुर्वेदिक औषधि, जैविक खेती और पर्यावरणीय संतुलन का मूल आधार माना गया है। गाय को “माता” इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह मानव जीवन एवं सतत विकास के लिए अनिवार्य दूध, घी, गोबर, गोमूत्र और पंचगव्य जैसे अमूल्य उपहार प्रदान करती है।
गंभीर चिंता की व्यक्त
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 48 राज्यों को यह सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित करता है कि गौ-वंश की सुरक्षा एवं वैज्ञानिक उन्नयन किया जाए। इसी संवैधानिक भावना के अनुरूप केंद्र सरकार के समक्ष यह विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। जोर दिया गया कि गाय भारतीय संस्कृति, धर्म, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, जैविक खेती, आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली और पर्यावरणीय समरसता का अभिन्न एवं पवित्र अंग है। घटती गौ-संख्या, सड़कों पर बढ़ते आवारा पशु और विदेशी नस्लों पर अत्यधिक निर्भरता पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। छोड़ी गई गायों के कारण होने वाले सड़क दुर्घटनाएँ, स्वच्छता संबंधी चुनौतियाँ, प्लास्टिक खाने से होने वाली बीमारियाँ तथा फसलों को होने वाले नुकसान जैसे मुद्दों को राष्ट्रीय चिंता के रूप में रेखांकित किया गया।
वफ़द ने विभिन्न स्रोतों से एकत्र किए गए गौ-सेस/करों का समय पर पंजीकृत गौशालाओं तक न पहुँचने तथा कई गौ-कल्याण योजनाओं की विफलता पर गहरी असंतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने गौ-रक्षा के नाम पर समाज-विरोधी तत्वों द्वारा की जा रही गुंडागर्दी, लोगों पर हमले और अवैध जबरन वसूली की घटनाओं की सख़्त निंदा की। एक बड़ी माँग यह भी उठाई गई कि प्रत्येक पशु के लिए एक राष्ट्रीय पशुधन डेटाबेस बनाने हेतु पुरानी RFID टैगिंग प्रणाली को समाप्त कर उसकी जगह आधार जैसी उन्नत बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली लागू की जाए।
गौ-रक्षा को राष्ट्रीय मिशन घोषित करने की मांग
वफ़द ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि गौ-रक्षा को राष्ट्रीय मिशन घोषित किया जाए, प्रत्येक राज्य में कम से कम एक राष्ट्रीय गौ-अस्थल (Cow Sanctuary) स्थापित किया जाए, केंद्र एवं राज्यों के संयुक्त योगदान से राष्ट्रीय गौ-कल्याण कोष बनाया जाए तथा पंचगव्य, बायोगैस, जैविक खाद और गौ-आधारित उत्पादों पर आधारित उद्योगों को बढ़ावा देकर गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए। देश भर में गौ-हत्या पर रोक लगाने के लिए एकसमान राष्ट्रीय दिशानिर्देश तैयार किए जाएँ, एक राष्ट्रीय गौ-विज्ञान केंद्र स्थापित किया जाए, गौ-आधारित जैविक खेती को “पर्यावरण-अनुकूल कृषि” के रूप में राष्ट्रीय प्रमाणिकता दी जाए और विद्यालयी पाठ्यक्रम में गौ-संभाल एवं नैतिक शिक्षा को शामिल किया जाए — ऐसी भी माँग रखी गई।
महंत अशीष दास महाराज ने डिजिटल पशुधन पहचान प्रणाली की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि वर्तमान RFID प्रणाली अब अप्रासंगिक हो चुकी है। उन्होंने एआई, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग और कंप्यूटर विज़न आधारित आधुनिक बायोमेट्रिक तकनीक विकसित करने का सुझाव दिया, जिसके अंतर्गत प्रत्येक पशु को एक विशिष्ट “गो-आधार आईडी” प्रदान की जाएगी, जिसमें मालिक की जानकारी, स्वास्थ्य एवं टीकाकरण रिकॉर्ड, प्रजनन संबंधी जानकारी, बीमा विवरण आदि शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि यह प्रणाली पशु-तस्करी रोकने, बीमा धोखाधड़ी समाप्त करने, सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ाने, बीमारियों का शीघ्र पता लगाने, गौ-कल्याण निधि के सही उपयोग को सुनिश्चित करने और सब्सिडी एवं कल्याण कार्यक्रमों की ट्रैकिंग को आसान बनाने में अत्यंत सहायक सिद्ध होगी। ऐसी तकनीक भारत के पशुधन क्षेत्र को वैज्ञानिक, आधुनिक और पारदर्शी बनाएगी।








