डेली संवाद, अमृतसर/चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब सरकार ने प्रशासनिक सख्ती दिखाते हुए अमृतसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में तैनात सात इंजीनियरों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। इस कार्रवाई में सुपरिटेंडिंग इंजीनियर (SE), एक्जीक्यूटिव इंजीनियर (XEN), सब डिवीजनल ऑफिसर (SDO) और जूनियर इंजीनियर (JE) स्तर के अधिकारी शामिल हैं।
पंजाब (Punjab) सरकार ने साल 2025 के आखिरी दिन भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करते हुए अमृतसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के सात अधिकारियों को सस्पेंड किया है। ये सभी अधिकारी इंजीनियरिंग विभाग से जुड़े हैं। लोकल बॉडी विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। जानकारी के अनुसार, यह कार्रवाई ट्रस्ट में 52.80 करोड़ के टेंडर घोटाले के मामले में की गई है।
चंडीगढ़ किए गए अटैच
इस मामले में पहले विजिलेंस के एसएसपी लखवीर सिंह को भी सस्पेंड किया गया था। हालांकि जारी आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया है। आदेश में केवल यह कहा गया है कि यह कार्रवाई पंजाब म्यूनिसिपल नियमावली 1970 के तहत की गई है। सरकार ने सभी सस्पेंड अधिकारियों को चंडीगढ़ स्थित मुख्यालय से अटैच कर दिया है।
सस्पेंड किए गए ये अधिकारी शामिल
- संतभूषण सचदेवा, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर
- एक्सईन रमिंदरपाल सिंह
- एसक्सईन बिक्रम सिंह
- एसडीओ सुखरिपन पाल सिंह
- एसडीओ शुभम सिंह
- जेई मनप्रीत सिंह
- मनदीप सिंह
मामले की जांच
सीगल इंडिया लि. कंपनी ने इस बारे में चीफ सेक्रेटरी को शिकायत की थी। इसके बाद डीसी ने 4 मेंबरी कमेटी बनाकर जांच सौंपी थी। इंक्वायरी रिपोर्ट चीफ सेक्रेटरी को भेजने के बाद यह कार्रवाई लोकल बॉडीज विभाग ने की है। सस्पेंशन के कारण आदेश में नहीं लिखे हैं।
जाने पूरा मामला
अमृतसर के रणजीत एवेन्यू ब्लॉक-सी और 97 एकड़ स्कीम के डवलपमेंट को लेकर 52.40 करोड़ के टेंडर की फाइनेंशियल बिड 18 दिसंबर को ओपन होने पर शर्मा कांट्रैक्टर ने 1.08% का लेस देकर एच-1 बिडर बनी थी, जबकि राजिंदर इंफ्रास्ट्रक्चर ने 0.25% का लेस दिया।
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इसलिए टेंडर अपने नाम नहीं कर पाई। वहीं, सीगल इंडिया व गणेश कार्तिकेय कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. के डॉक्यूमेंट्स पूरे न होने व टेक्निकल खामी बताकर फाइनेंशियल बिड से पहले ही बाहर कर दिया गया था।
नई तैनातियों की सूची जारी
सरकार ने सस्पेंड किए गए अधिकारियों की जगह नए अधिकारियों की तैनाती भी कर दी है। इस संबंध में एक अलग अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें विभिन्न विभागों से इंजीनियरों को अस्थायी रूप से अमृतसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में जिम्मेदारी सौंपी गई है। सरकार का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य विकास कार्यों को प्रभावित होने से बचाना और परियोजनाओं को तय समय पर पूरा करना है।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार अमृतसर में चल रही कई महत्वपूर्ण विकास योजनाएं इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के अधीन आती हैं, जिनमें आवासीय योजनाएं, सड़क निर्माण और बुनियादी ढांचे से जुड़े कार्य शामिल हैं। ऐसे में सरकार किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
सरकार का सख्त संदेश
पंजाब सरकार की इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार और लापरवाही के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” नीति के तौर पर देखा जा रहा है। हाल के महीनों में सरकार लगातार यह संकेत देती रही है कि सरकारी विभागों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जनता के पैसों से जुड़े विकास कार्यों में किसी भी स्तर पर अनियमितता पाई गई तो सख्त कदम उठाए जाएंगे।

विपक्ष का रुख
इस कार्रवाई के बाद विपक्षी दलों की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे सही कदम बताते हुए कहा कि ऐसी कार्रवाइयों से सरकारी सिस्टम में सुधार आएगा। वहीं कुछ नेताओं ने मांग की है कि सिर्फ सस्पेंशन नहीं, बल्कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया का इंतजार
फिलहाल सस्पेंड किए गए सातों अधिकारियों की ओर से इस कार्रवाई पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। माना जा रहा है कि विभागीय जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो आगे और कड़ी कार्रवाई की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
कुल मिलाकर, अमृतसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में हुई यह बड़ी कार्रवाई पंजाब सरकार के प्रशासनिक रुख को दर्शाती है। आने वाले दिनों में जांच की दिशा और नतीजों पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।








