डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जालंधर जोनल टीम ने अवैध आप्रवासन और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए तथाकथित ‘डंकी रूट केस’ में करोड़ों की अवैध संपत्ति जब्त की है। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत 18 और 19 दिसंबर को पंजाब, हरियाणा और नई दिल्ली में एक साथ की गई, जिसमें कुल 13 ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया गया।
जालंधर (Jalandhar) ईडी की इस कार्रवाई को अवैध रूप से लोगों को विदेश भेजने वाले संगठित नेटवर्क के खिलाफ अब तक की सबसे अहम सफलताओं में से एक माना जा रहा है। जांच एजेंसी के अनुसार, यह नेटवर्क लंबे समय से ‘डंकी रूट’ के जरिए लोगों को गैरकानूनी तरीके से विदेश भेजने का काम कर रहा था और इसके बदले भारी रकम वसूल की जाती थी। इसी अवैध कमाई को विभिन्न माध्यमों से छिपाकर रखा गया था, जिसे अब जब्त किया गया है।
करोड़ों रुपये की नकदी बरामद
तलाशी के दौरान ईडी अधिकारियों को कुल 4.68 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई। इसके अलावा बड़ी मात्रा में सोना और चांदी भी जब्त की गई है। जांच में सामने आया कि लगभग 8.07 करोड़ रुपये मूल्य की 5.9 किलोग्राम सोने की छड़ें, करीब 2.7 लाख रुपये के 20 ग्राम सोने के सिक्के और लगभग 6.42 करोड़ रुपये की 313 किलोग्राम चांदी की छड़ें अलग-अलग ठिकानों से मिली हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह संपत्ति अवैध आप्रवासन से जुड़े एजेंटों और उनके नेटवर्क द्वारा अर्जित की गई आय का हिस्सा हो सकती है।
ईडी के अनुसार, इतनी बड़ी मात्रा में नकदी और कीमती धातुओं का एक साथ मिलना इस बात की ओर इशारा करता है कि यह नेटवर्क बेहद संगठित और पेशेवर तरीके से काम कर रहा था। आय को बैंकिंग चैनलों से दूर रखने और जांच से बचाने के लिए नकदी और सोने-चांदी के रूप में निवेश किया गया था।

डिजिटल उपकरणों की फॉरेंसिक जांच जारी
तलाशी अभियान के दौरान ईडी को कई डिजिटल उपकरण भी हाथ लगे हैं, जिनमें मोबाइल फोन, लैपटॉप, हार्ड डिस्क और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस शामिल हैं। इन सभी उपकरणों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। अधिकारियों को उम्मीद है कि इनमें मौजूद डेटा से हवाला लेन-देन, विदेशी संपर्कों, एजेंटों के नेटवर्क और अवैध आप्रवासन से जुड़े अहम सुराग मिल सकते हैं।
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इसके साथ ही विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज, लेन-देन से संबंधित रिकॉर्ड और अन्य अपराध-संकेतक सामग्री भी बरामद की गई है। ईडी का कहना है कि ये दस्तावेज जांच को आगे बढ़ाने और पूरे नेटवर्क की कड़ियां जोड़ने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
50 से अधिक मूल पासपोर्ट मिलने से बढ़ी चिंता
इस कार्रवाई में सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह रहा कि अलग-अलग परिसरों से 50 से अधिक मूल पासपोर्ट बरामद किए गए हैं, जो तीसरे पक्ष के बताए जा रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि इन पासपोर्टों का इस्तेमाल अवैध तरीके से लोगों को विदेश भेजने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने या पहचान छिपाने के लिए किया जाता था।

ईडी अब इन पासपोर्टों की वैधता, उनके असली मालिकों और यह कैसे एजेंटों के पास पहुंचे, इसकी गहन जांच कर रही है। माना जा रहा है कि यह नेटवर्क भोले-भाले लोगों को बेहतर भविष्य का सपना दिखाकर उनसे मोटी रकम वसूल करता था और फिर उन्हें गैरकानूनी रास्तों से विदेश भेजता था।
जांच का दायरा और बढ़ने के संकेत
प्रवर्तन निदेशालय ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं। एजेंसी अवैध आप्रवासन से जुड़े वित्तीय लेन-देन, हवाला नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की कड़ियों को खंगाल रही है। यदि जरूरत पड़ी तो और ठिकानों पर छापेमारी और संबंधित लोगों से पूछताछ की जा सकती है।
ईडी की इस कार्रवाई को अवैध आप्रवासन और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ सरकार की सख्त नीति के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे नेटवर्क न केवल कानून का उल्लंघन करते हैं, बल्कि लोगों की जान और भविष्य को भी खतरे में डालते हैं। इस मामले में जांच पूरी होने के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।







