मसूर की दाल में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पेट में गैस और सूजन की समस्या को बढ़ा सकती है। इसलिए, पाचन संबंधी समस्याओं जैसे कि कब्ज, एसिडिटी या IBS से पीड़ित लोगों को मसूर की दाल का सेवन कम करना चाहिए। 

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पाचन समस्या वाले लोग 

मसूर की दाल में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है, जो किडनी के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए, किडनी की बीमारी से पीड़ित लोगों को मसूर की दाल का सेवन डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए। 

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गुर्दे की बीमारी वाले लोग 

मसूर की दाल में प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है, जो यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकती है और गठिया के लक्षणों को बढ़ा सकती है। 

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गठिया के रोगी 

मसूर की दाल में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। इसलिए, वजन बढ़ने की समस्या वाले लोगों को मसूर की दाल का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए। 

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वजन बढ़ने की समस्या 

कुछ लोगों को मसूर की दाल से एलर्जी हो सकती है। अगर आपको मसूर की दाल खाने के बाद कोई परेशानी होती है, तो इसका सेवन बंद कर दें। 

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एलर्जी 

गर्भावस्था के दौरान मसूर की दाल का सेवन सामान्य मात्रा में किया जा सकता है, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने से बचें।

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गर्भवती महिलाएं 

स्तनपान कराने वाली महिलाओं को मसूर की दाल का सेवन संतुलित मात्रा में करना चाहिए।

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स्तनपान कराने वाली महिलाएं 

कुछ दवाएं मसूर की दाल के साथ इंटरैक्ट कर सकती हैं। इसलिए, दवा ले रहे लोगों को मसूर की दाल का सेवन डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए। 

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दवा लेने वाले लोग 

छोटे बच्चों को मसूर की दाल को अच्छी तरह पकाकर ही देनी चाहिए।

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बच्चे 

बुजुर्गों को मसूर की दाल को आसानी से पचने योग्य बनाकर ही देनी चाहिए, जैसे कि दाल को छानकर या मैश करके। 

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बुजुर्ग