नई दिल्ली। 5 नवंबर को कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि होने से धनतरेस त्योहार मनाया जाएगा। इसी दिन भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने से इनकी पूजा की जाती है।
वहीं अकाल मृत्यु न हो इसके लिए शाम को यमराज के लिए दक्षिण दिशा में या घर के मेनगेट पर आटे का दीपक रखा जाता है। जिससे यमराज खुश होते हैं। धनतेरस पर खरीदारी के साथ भगवान धन्वंतरि की पूजा भी की जाती है। पूजा की पूरी विधि के साथ जानिए खरीदारी और पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त।
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धनतेरस की पूजा विधि
सबसे पहले नहाकर साफ वस्त्र पहनें। भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें तथा स्वयं पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। उसके बाद भगवान धन्वंतरि का आह्वान इस मंत्र से करें।
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।
- इसके बाद पूजा स्थल पर आसन देने की भावना से चावल चढ़ाएं। आचमन के लिए जल छोड़ें और भगवान धन्वंतरि को वस्त्र (मौली) चढ़ाएं।
भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या तस्वीर पर अबीर, गुलाल पुष्प, रोली और अन्य सुगंधित चीजें चढ़ाएं। - चांदी के बर्तन में खीर का भोग लगाएं। (अगर चांदी का बर्तन न हो तो अन्य किसी बर्तन में भी भोग लगा सकते हैं।)
- इसके बाद आचमन के लिए जल छोड़ें। मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वंतरि को चढ़ाएं।
इसके बाद रोग नाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें
ऊं रं रूद्र रोग नाशाय धनवंतर्ये फट्।।
फिर भगवान धन्वंतरि को श्रीफल व दक्षिणा चढ़ाएं। पूजा के अंत में कर्पूर आरती करें।
भगवान धन्वंतरि की पूजा और खरीदारी के शुभ मुहूर्त
- सुबह 06 बजकर 31 मिनट से 07 बजकर 55 मिनट तक
- सुबह 09 बजकर 18 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक
- दोपहर 1 बजकर 27 मिनट से शाम 07 बजकर 13 मिनट तक
- रात 10 बजकर 27 मिनट से 11 बजकर 35 मिनट तक
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