शारदीय नवरात्र आज से आरंभ, पढ़ें- कलश स्थापन का समय और पूजन विधान

Daily Samvad
5 Min Read

आरंभ 29 सितंबर से हो रहा है जो सात अक्टूबर तक चलेगा

जालंधर। शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा की पूजा-आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र आज आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलेगा। इस बार इसका आरंभ 29 सितंबर से हो रहा है जो सात अक्टूबर तक चलेगा।

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 29 सितंबर को कलश स्थापन और ध्वजारोपण के लिए शुभ समय प्रात: 6.04 से 9.45 बजे तक है। इस समय में जो लोग कलश स्थापन न कर पाएं वे 11.23 से 12.11 बजे के बीच यह कार्य कर सकते हैं। पांच अक्टूबर को निशिथ व्यापिनी अष्टमी में महानिशा पूजन और बलिदान आदि होंगे।

छह अक्टूबर को सूर्योदय व्यापिनी अष्टमी में महाअष्टमी व्रत होगा। सात को अक्टूबर को महानवमी व्रत व हवनादि किया जाएगा। आठ अक्टूबर को विजय दशमी मनाने के साथ दुर्गा प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा। दर्शन विधान के अनुसार 29 सितंबर प्रतिपदा को शैलपुत्री दर्शन से लेकर सात अक्टूबर नवमी तक सिद्धिदात्री के दर्शन का विधान नियमित नौ दिनों तक चलता रहेगा।

हाथी पर आएंगी माता, भैंसा पर प्रस्थान

शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा की पूजा-आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलता है। इस बार इसका आरंभ 29 सितंबर से हो रहा है जो सात अक्टूबर तक चलेगा। पांच अक्टूबर को निशिथ व्यापिनी अष्टमी में महानिशा पूजन और बलिदान आदि होंगे। छह अक्टूबर को सूर्योदय व्यापिनी अष्टमी में महाअष्टमी व्रत होगा। सात को अक्टूबर को महानवमी व्रत व हवनादि किया जाएगा। आठ अक्टूबर को विजय दशमी मनाने के साथ दुर्गा प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा।

दर्शन विधान अनुसार 29 सितंबर प्रतिपदा को शैलपुत्री दर्शन से लेकर सात अक्टूबर नवमी तक सिद्धिदात्री के दर्शन का विधान नियमित नौ दिनों तक चलता रहेगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार माता का आगमन हाथी पर हो रहा है जिसका फल सुवृष्टि यानी अत्यधिक वर्षा और गमन भैंसा पर हो रहा है जिसका फल रोग-शोक विपत्ति इत्यादि माना जाता है। इस लिहाज से माता का आगमन अति शुभ और गमन अशुभ होगा।

कलश स्थापन

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 29 सितंबर को कलश स्थापन और ध्वजारोपण के लिए शुभ समय प्रात: 6.04 से 9.45 बजे तक है। इस समय में जो लोग कलश स्थापन न कर पाएं वे 11.23 से 12.11 बजे के बीच यह कार्य कर सकते हैं। नवरात्र इस बार पूरे नौ दिन का है। इसका आरंभ 29 सितंबर से हो रहा है। प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नियमित व्रत व दर्शन विधान चलेंगे।

नवरात्रारंभ तिथि प्रतिपदा यानी 29 सितंबर को प्रात: तैलाभ्यंग स्नानादि कर तिथिवार नक्षत्र, गोत्र, नाम आदि लेकर मां पराम्बा के प्रसन्नार्थ प्रसाद स्वरूप दीर्घायु, विपुल धन, पुत्र- पौत्र, श्रीलक्ष्मी, कीर्ति, लाभ, शत्रु पराजय समेत सभी तरह के सिद्धर्थ शारदीय नवरात्र में कलश स्थापन, दुर्गा पूजा और कुमारिका पूजन करूंगा का संकल्प करना चाहिए। गणपति पूजन, मातृका पूजन, नांदी श्राद्ध इत्यादि के बाद मां पराम्बा का षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन करना चाहिए।

ये है मान्यता

शारदीय नवरात्र का महात्म्य वैदिक काल से है। मार्कडेय पुराण में देवी का महात्म्य दुर्गा सप्तशती द्वारा प्रकट किया गया है। वहां वर्णित है कि शुंभ-निशुंभ व महिषासुर आदि तामसी प्रवृत्ति वाले असुरों का जन्म होने से देवता दुखी हो गए। सभी ने चित्त शक्ति से महामाया की स्तुति की।

देवी ने वरदान दिया कि-डरो मत, मैं अचिरकाल में प्रकट हो कर इस असुर पराक्रमी असुरों का संहार करूंगी। तुम देवों का दुख दूर करूंगी। मेरी प्रसन्नता के लिए तुम लोगों को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से घट स्थापन पूर्वक नवमी तक नौ दिन पूजा करनी चाहिए। इस आधार पर नवरात्र का महत्व अनादि काल से चला आ रहा है।

नवरात्र पर्व पर घट स्थापना का मुहूर्त (चौघड़िया के अनुसार)

  • चर : सुबह 07.47 बजे से 09.16 बजे तक
  • लाभ : सुबह 9.17 बजे से 10.45 बजे तक ।
  • अमृत : 10.46 बजे से दोपहर 12.14 बजे तक
  • शुभ : दोपहर 01.43 बजे से 03.12 बजे तक

श्रेष्ठ मुहूर्त

  • सुबह 04.47 बजे से 05.31बजे तक। (ब्रह्म वेला+स्थिर सिंह लग्न+लाभ चौघड़िया)
  • सुबह 07.26 बजे से 07.41बजे तक। (ब्रह्म वेला+ कन्या लग्न)
  • सुबह 11.50 बजे से दोपहर 12.14 बजे तक। (अभिजित+स्थिर वृश्चिक लग्न+अमृत चौघड़िया)

WhatsApp पर न्यूज़ Updates पाने के लिए हमारे नंबर 8847567663 को अपने Mobile में Save करके इस नंबर पर Missed Call करें। हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।















Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *