रोहिणी नक्षत्र के शुभ संयोग में पति की दीघार्यु की कामना करेंगी
नई दिल्ली। पति पत्नी के प्रेम का प्रतीक करवा चौथ का पर्व आज 17 अक्टूबर को देशभर में मनाया जा रहा है। महिलाएं इस इस बार 70 साल पर रोहिणी नक्षत्र के शुभ संयोग में पति की दीघार्यु की कामना करेंगी।
पति की लंबी उम्र की कामना के साथ महिलाएं आज पूरे दिन निर्जला व्रत रख रही हैं और शाम को चंद्रमा निकलने पर पूजा करने के बाद अन्न जल ग्रहण करेंगी। इस व्रत में चांद को छलनी से देखने का विशेष प्रचलन है। इस साल व्रत की समयाविधि भी करीब 14 घंटे की रहेगी।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व होता है। इसमें भी विशेष रूप से चतुर्थी तिथि जिस दिन रात्रि में चन्द्रमा उदय होने तक रहे, उस दिन करवा चौथ का व्रत होता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां प्रात: काल से ही निर्जला व्रत रखकर संध्या के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर और अपने पति का दर्शन कर जल ग्रहण करके व्रत का परायण करती हैं।
70 सालों बाद बन रहा शुभ संयोग सुहागिनों के लिए फलदायी होगा
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 70 सालों बाद बन रहा शुभ संयोग सुहागिनों के लिए फलदायी होगा। इस बार रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग बेहद मंगलकारी रहेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद उपाध्याय के अनुसार करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। करवा चौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है।
पहला तो करवा और दूसरा चौथ। जिसमें करवा का मतलब मिट्टी के बरतन और चौथ यानि चतुर्थी है। इस दिन मिट्टी के पात्र यानी करवों की पूजा का विशेष महत्व है। करवाचौथ के मौके पर महिलाएं व युवतियों मेहंदी लगवाती हैं। चतुर्थी को दिनभर व्रत करने के बाद शाम को 16 श्रृंगार से सजकर चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और भगवान गणेश की पूजा करती हैं।
करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- सायंकाल 6:37- रात्रि 8:00 तक चंद्रोदय-
सायंकाल 7:55 चतुर्थी तिथि आरंभ- 18:37
(27 अक्टूबर) चतुर्थी तिथि समाप्त- 16:54 (28 अक्टूबर)
करवाचौथ व्रत की पूजा विधि
- करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करके पानी पी लें। इसके बाद भगवान से इस निर्जला व्रत करने का संकल्प लें।
- करवाचौथ के व्रत में महिलाएं पूरे दिन जल-अन्न ग्रहण किए बिना चांद देखने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं।
- पूजा करते समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे रखें।
सिन्दूर रखकर घी का दीपक जलाएं
- इसके बाद एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर रखकर घी का दीपक जलाएं।
- करवाचौथ के पूजन के दौरान करवा चौथ कथा खुद भी जरूर सुनें और दूसरों को भी सुनाएं।
- चांद को छलनी से देखने के बाद अर्घ्य देकर चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए।
- चांद को देखने के बाद पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलना चाहिए।
- इस दिन बहुएं अपनी सास को थाली में मिठाई, फल, मेवे, रूपये आदि देकर उनसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लेती हैं।
करवाचौथ के दिन भूलकर भी न करें ये काम
नुकीली चीजों का इस्तेमाल करने से बचें : करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली स्त्री को कैंची नहीं चलानी चाहिए। इसके अलावा महिलाओं को कपड़े या सब्जी भी काटने से बचना चाहिए। व्रत रखने वाली महिलाओं को सुई-धागे और कढ़ाई, सिलाई या बटन टाकने के काम को करने से भी परहेज करना चाहिए।
सफेद चीजों का न करें दान : करवा चौथ के दिन महिलाओं को चंद्रमा की प्रतीक किसी भी सफेद चीज का दान करने से बचना चाहिए। उदाहरण के लिए जैसे, सफेद फूल, सफेद कपड़े, दूध, दही चावल, सफेद मिठाई और नारियल आदि का दान करने से बचें।
इन रंगों को पहनने से करें परहेज
सुबह करवा चौथ के व्रत का संकल्प लेने समय काले, सफेद या नीला रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। इस व्रत में पूरे दिन चटख रंगों के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि लाल और चटख कपड़े महिला के सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक होते हैं।
अक्सर लोग सुबह उठते ही आइना देखते हैं। अगर आप भी ऐसा ही कुछ करती हैं तो करवा चौथ के दिन ऐसा करने से बचें। सुबह उठते ही सबसे पहले अपनी हथेलियां को देखकर अपने ईष्ट देव का ध्यान करें।
आज के दिन किसी भी महिला को सुहाग से जुड़ी अपनी कोई वस्तु घर के बाहर नहीं फेंकनी चाहिए। अगर आपको लगता है कि आपकी कोई चीज बेकार हो गई है तो उसे करवा चौथ के बाद घर से बाहर निकालें।
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