नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली की अवैध कॉलोनियों में रह रहे लाखों लोगों को तोहफा देते हुए उन्हें मकान का मालिकाना हक देने वाले विधेयक को मंजूरी दी। बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि कच्ची कॉलोनियों को नियमित करने वाला विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में ही लाया जाएगा।
इस योजना का नाम उदय (प्रधानमंत्री अनधिकृत कॉलोनी आवास अधिकार योजना) दिया गया है। पिछले महीने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिल्ली की 1800 के करीब अवैध कॉलोनियों को नियमित किए जाने का ऐलान किया था। इन कॉलोनियों को अधिकृत करने की मांग पिछले कई दशक से चली आ रही है।
79 गांव शहर में शामिल
वहीं दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने डीडीए के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में 79 गांवों की श्रेणी को बदलकर शहरीकृत कर दिया है। इससे इन गांवों में रहने वाले लगभग 6 से 8 लाख लोगों को लाभ मिलेगा। इन गांवों को नगर निगम एक्ट 1957 की धारा 507 के तहत शहरीकृत घोषित किया गया है।
नियमित कॉलोनी के लाभ
दिल्ली के जिन गांवों को शहरीकृत किया गया है उन्हें नियमित कॉलोनियों वाले सभी लाभ मिलने लगेंगे। गांवों के लोगों को संपत्ति के मालिकाना हक के आधिकारिक दस्तावेज मिल जाएंगे। जन सुविधाएं बढ़ेगी और लोग जमीन पर गृह निर्माण के लिए कर्ज भी ले सकेंगे। एलजी ने गांवों में भूमि विवाद को खत्म करने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगा दी है। गांवों में भूमि विवाद से जुड़े मुकदमे वापस होंगे।
कच्ची कॉलोनी में नहीं मिलता मालिकाना हक
अनाधिकृत कॉलोनियां कच्ची कॉलोनियों की श्रेणी में आती हैं। ऐसी कॉलोनियों में रजिस्ट्री नहीं होती। पॉवर ऑफ अटॉर्नी से मालिकाना हक दिया जाता है। ऐसी अधिकांश कॉलोनियों में नाले व सीवर लाइन नहीं है। ये कॉलोनियां बिना योजनागत व नक्शे से प्राइवेट बिल्डरों द्वारा काटी गई हैं।