CM योगी आदित्यनाथ ने निलंबित पुलिस उपाधीक्षक समेत डीडीओ को नौकरी से किया बर्खास्त

Daily Samvad
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डेली संवाद, लखनऊ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भ्रष्टाचार पर प्रहार निरंतर जारी है। मुख्यमंत्री ने दायित्वों का निर्वहन न करने के कारण पीटीएस मेरठ के निलंबित पुलिस उपाधीक्षक प्रकाश राम आर्या को सेवा से पदच्युत करने के आदेश दिए हैं।

मुख्यमंत्री कार्यालय से ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई है। जानकारी के मुताबिक निलंबित पुलिस उपाधीक्षक प्रकाश राम आर्या द्वारा अपनी पत्नी नीरू उर्फ डाली तथा मृतक विशाल विलियम्स के मध्य अवैध सम्बंध हो जाने के कारण अपने भतीजे रमेश राम आर्य के साथ मिलकर विशाल विलियम्स को रास्ते से हटाने के लिए सुपारी देकर उसकी हत्या का षडयंत्र रचा। ये पुलिस की विवेचना में पाया गया।

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उक्त आपराधिक षडयंत्र बिना सूचना के कार्य स्थल से अनुपस्थिति की अवधि में किया गया कृत्य गम्भीर दुराचरण की प्रकृति का है। उक्त कृत्य के दृष्टिगत सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 के नियम-7 के अंतर्गत दीर्ष शास्ति का दण्ड दिए जाने का औचित्य भी स्थापित हो रहा है। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री द्वारा सेवा से पदच्युति जो भविष्य में नियोजन से निरर्हित करता हो का अनुमोदन किया गया है।

अमेठी के डीडीओ बंशीधर सरोज को भी सेवा से पदच्युत किया

इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनपद अमेठी के डीडीओ बंशीधर सरोज को मिर्जापुर में डीडीओ के पद पर रहते हुए दायित्वों की अनदेखी व नियुक्ति में अनियमितता के कारण सेवा से पदच्युत करने के आदेश दिए हैं।

मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा ट्वीट करके इसकी जानकारी दी गई है। जानकारी के मुताबिक बंशीधर सरोज तत्कालीन जिला विकास अधिकारी, मिर्जापुर सम्प्रति जिला विकास अधिकारी अमेठी द्वारा जांच अधिकारी को अपना जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया जबकि जांच अधिकारी द्वारा जवाब देने हेतु कई बार निर्देश दिया गया। जांच अधिकारी द्वारा उपलब्ध अभिलेखों एवं गुणदोष के आधार पर जांच आख्या अंतिम करते हुए जांच आख्या प्रेषित की गई।

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नियुक्ति में घोर अनियमितता की गई

जांच अधिकारी द्वारा ने उर्दू अनुवादक सह कनिष्ठ सहायक की भर्ती में कार्मिक अनुभाग 4 की अधिसूचना दिनांक 9.9.1994 द्वारा उत्तर प्रदेश उर्दू अनुवादक सह कनिष्ठ लिपिक सेवा नियमावली 1994 एवं उसके क्रम में जारी शासनादेश दिनांक 11.3.2013 की अनदेखी कर स्वार्थ के वशीभूत होकर अपने दूषित मन्तव्यापूर्ति के उद्देश्य से नियुक्ति में घोर अनियमितता की गई।

उक्त के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश उर्दू अनुवादक सह कनिष्ठ सेवा नियमावली 1994 के नियमों के विपरीत उर्दू अनुवादक सह कनिष्ठ लिपिक के पद पर नियुक्ति करने के साथ ही शासनादेश व नियमावलियों की मनमानी ढंग से व्याख्या कर अपने उच्चाधिकारियों एवं शासन को गुमराह किए जाने के लिए पूर्णतया दोषी हैं।















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