चडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पीजीआईएमईआर के एक अध्ययन का हवाला देते हुए दावा किया कि 58 फीसदी आबादी के कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा है, जिसके कुछ घंटे बाद ही प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान ने शुक्रवार की शाम को कहा कि उसे अपने विभाग द्वारा इस तरह का अध्ययन कराए जाने के बारे में जानकारी नहीं है।
नई दिल्ली से कांग्रेस द्वारा आयोजित वीडियो कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) के एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि वायरस मध्य सितम्बर तक अपने चरम पर पहुंचेगा और यह भारत की 58 फीसदी आबादी और पंजाब तथा अन्य राज्यों की 87 फीसदी आबादी को प्रभावित करेगा।
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PGIMER ने अमरिंदर के दावे पर क्या कहा?
बाद में संस्थान ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की और स्पष्ट किया, ‘‘पीजीआई चंडीगढ़ को पता नहीं है कि संस्थान के कम्युनिटी मेडिसिन एंड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ विभाग से किसी विशेषज्ञ या संकाय सदस्य ने कोई ऐसा अध्ययन कराया है कि कोविड-19 मध्य सितम्बर तक चरम पर होगा और देश की 58 फीसदी आबादी को प्रभावित करेगा।’’
पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के जनसंपर्क कार्यालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक कम्युनिटी मेडिसिन एंड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ विभाग के प्रमुख ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है. इसके बाद मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने कहा कि अमरिंदर सिंह ने जिस रिपोर्ट का हवाला दिया है वह पीजीआईएमईआर के स्वास्थ्य अर्थशास्त्र के अतिरिक्त प्रोफेसर का आकलन है।
पंजाब में लॉकडाउन एक मई तक बढ़ा
बता दें पंजाब में कोरोना वायरस के मामले 151 तक पहुंचने और इस महामारी के सामुदायिक संक्रमण की ओर बढने की आशंका के बीच राज्य सरकार ने लॉकडाउन (बंद) की अवधि एक मई तक के लिए बढ़ा दी. अब पंजाब ओडिशा के बाद ऐसा करने वाला दूसरा राज्य बन गया है।
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पंजाब सरकार ने यहां जारी एक बयान में कहा कि लॉकडाउन बढ़ाने का यह निर्णय वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में किया गया. इसी बैठक में मंत्रिमंडल ने कोरोना वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई में सरकार को निजी अस्पतालों को अपने साथ लाने की अनुमति देने वाले एक अध्यादेश मसौदे को शुक्रवार को मंजूरी दे दी।