डेली संवाद, जालंधर
पंजाब के लोक जागृति समूहों में से एक जागदा पंजाब के संयोजक राकेश शान्तिदूत ने पंजाब सरकार से मांग की है कि अब जब केंद्र सरकार ने उसे राजस्व घाटे और जी एस टी के बकाया में से 630 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान कर दिया है तो वह जी एस टी से पूर्व का सूबे के कारोबारियों का वैट रिफंड अविलंब करे।
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आज यहाँ जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में शान्तिदूत ने कहा कि देश में जी एस टी व्यवस्था लागू होने के पहले के 2012 से 2015 तक के करोड़ो रूपये।के वैट रिफंड के भुगतान पंजाब सरकार ने अभी तक नही किये और जानबूझ कर असेसमेंट का बहाना बना कर देरी की जा रही है औऱ इस आड़ में भ्रष्टाचार के जरिये मामूली भुगतान हो रहे है लेकिन व्यापकता में कारोबारी परेशान है।
मध्यमवर्गीय कारोबारी आर्थिक रूप से टूट रहा है
शान्तिदूत ने कहा कि लॉक डाउन की वजह से खास तौर पर मध्यमवर्गीय कारोबारी आर्थिक रूप से टूट रहा है इस लिए प्रदेश हित में जहाँ उसकी मदद होनी चाहिये वहीं उसका खुद का पैसा जो वैट रिफंड का है उसे तुरंत लौटाया जाना चाहिए। शान्तिदूत ने कहा कि असेसमेंट में देरी करने का बहाना सरकार को अब छोड़ देना चाहिए और महीने भर की समय सीमा तय कर सब असेसमेंट कर के वैट रिफंड करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लॉक डाउन के बाद लेबर को वापिस लाने के लिए भी कारोबारियों और उद्योगपतियों को भारी खर्च की जरूरत पड़ेगी और ऐसे में उनकी मदद नही हुई तो प्रदेश को उद्योग ठप्प होने की वजह से राजस्व का भारी नुकसान होगा और प्रदेश पिछड़ जाएगा।
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शान्तिदूत ने केंद्र सरकार से भी आग्रह किया कि लॉक डाउन के बाद वह श्रमिको को उनके कार्य क्षेत्रों में लौटने पर भी वैसी ही मदद करे जैसी उनकी घर वापिसी के लिए की गई है। इसके अलावा 20 लाख करोड़ के पैकेज में जो श्रमिकों के लिए किराये के घर पब्लिक प्राइवेट सांझ में उपलब्ध कराने की जो योजना कल्पित की गई है, उसमें औद्योगिक सूबों को प्राथमिकता दी जाए।