नई दिल्ली। देश में कोरोना के मामूली और औसत लक्षणों वाले मरीजों के इलाज के लिए फेविपिराविर दवा को मंजूरी मिल गई है। दवा कंपनी ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने शनिवार को इस दवा की पेशकश की और बताया कि जिन मरीजों को मधुमेह और दिल की बीमारी है, वो डॉक्टर की सलाह से इस दवा का सेवन कर सकते हैं।
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यह दवा फैबिफ्लू नामक ब्रांड के तहत लॉन्च की गई है और इसकी कीमत 103 रुपये प्रति टैबलेट है। कंपनी ने जानकारी दी कि 200 एमजी की 34 टैबलेट के एक पैकेट की कीमत 3,500 रुपये होगी। लेकिन कंपनी ने दवा के सेवन से पहले ही डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी बताया है। डॉक्टर की सलाह के बाद पहले दिन इसकी 1800 एमजी की दो खुराक लेनी होगी। उसके बाद 14 दिन तक 800 एमजी की दो खुराक लेनी होगी।
फैबिफ्लू जैसे प्रभावी इलाज से काफी हद तक मदद
कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ग्लेन सल्दान्हा ने उम्मीद जताई कि फैबिफ्लू जैसे प्रभावी इलाज से काफी हद तक मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि क्लिनिकल परीक्षणों में फैबिफ्लू ने कोरोना वायरस के मामूली संक्रमण वाले मरीजों पर काफी अच्छे नतीजे दिखाए।
कोरोना के तांडव को लगभग छह महीने हो चुके हैं और अभी तक इसके इलाज के लिए वैक्सीन नहीं बनी है। दुनिया में कई देश वैक्सीन बनाने पर काम कर रहे हैं, हालांकि भारत में भी कई प्रयोगशालाओं में वैक्सीन के विकास पर काम चल रहा है।
वैक्सीन पर डब्ल्यूएचओ का रुख
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दुनिया में कई देश कोरोना वैक्सीन को लेकर काम कर रहे हैं, इसमें से कई देश ह्यूमन ट्रायल यानि कि इंसानी शरीर पर प्रयोग करने वाली स्टेज पर आ गए हैं तो कुछ देश अभी वैक्सीन बनाने की शुरुआती स्टेज पर ही हैं। डब्ल्यूएचओ की शीर्ष शोधकर्ता डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि कि संगठन को उम्मीद है कि इस साल के अंत यानि दिसंबर तक वैक्सीन तैयार हो सकती है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि अभी दुनिया में कोरोना की 100 से ज्यादा वैक्सीन पर शोध चल रहा है। भारत समेत अमेरिका, रूस, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, इटली और ब्रिटेन जैसे देश कोविड-19 की वैक्सीन बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इजराइल और नीदरलैंड के वैज्ञानिक एंटीबॉडी आइसोलेट करने में कामयाब हुए हैं। (credit-amarujala)