पंजाब में निजी क्लीनिकों को नियमित करने समेत 5 आर्डिनेंस मंजूर, जाने क्या होगा इससे फायदा

Daily Samvad
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डेली संवाद, चंडीगढ़
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में पंजाब मंत्रीमंडल ने मंगलवार को पंजाब सरकार के द्वारा पहले जारी किये गए पाँच आर्डीनैंसों को लागू करने के लिए पंजाब विधान सभा के आगामी सैशन में पेश किये जाने की मंजूरी दे दी गई है। इनमें प्राईवेट क्लिीनिकों को नियमित करने, कोविड महामारी के दरमियान कुछ कैदियों की अस्थाई रिहाई, निजी नशा छुड़ाओ केन्द्रों के द्वारा दवाओं की बाँट को नियमित करने, औद्योगिक झगड़ों और बाल मज़दूरी से सम्बन्धित बिल शामिल हैं।

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पंजाब क्लिनीकल स्थापति (रजिस्ट्रेशन और रैगूलेशन) आर्डीनैंस

क्योंकि पंजाब में निजी क्लीनिकों की स्थापति को नियमित और रजिस्टर करने सम्बन्धी मौजूदा समय कोई कानून नहीं है, इस आर्डीनैंस को लागू करने का मंतव्य क्लिनीकल अदारों को नियमित प्रबंध के तहत लाना है जिससे इनके काम-काज को और पारदर्शी बनाने को यकीनी बनाया जा सके।

इसका उद्देश्य सार्वजनिक इलाज व्यवस्था की गुणवत्ता बढ़ाना, मरीज़ों से ज़्यादा फीस वसूली को रोकने के अलावा नियम निर्धारित करना, फिजिकल मापदंड, मैडीकल मापदंड, अमले के नियम, रिकार्ड का रख-रखाव और रिपोर्टिंग आदि संबंधी शर्तें तय करना है। इसको कानूनी रूप मिलने से ऐसे अदारे कुदरती आपदाओं और महामारी के समय राज्य का समर्थन करेंगे।

पंजाब गुड्ड कंडक्ट प्रजिऩरज़ संशोधन आर्डीनैंस

कोविड -19 महामारी के साथ पैदा हुए हालातों को देखते हुये पंजाब मंत्रालय की तरफ से कैदियों के अच्छे आचरण (अस्थाई रिहाई) संशोधन आर्डीनैंस -2020 (पंजाब आर्डीनैंस -2020, नं. 1) को 15वीं विधान सभा के आ रहे सैशन में पेश करने को मंजूरी दे दी गई है। इसके अमली जामा पहनने से संकटकालीन समय, महामारियों और आपातकालीन प्रस्थितियों के दौरान पैरोल के समय में विस्तार करने का रास्ता खुलेगा।

इस आर्डीनैंस को पेश किये जाने के पीछे तर्क जेल विभाग को ऐसे कदम उठाने के योग्य बनाना है, जिससे जेलों को भीड़ मुक्त करने के साथ साथ कोविड मुक्त रखने को यकीनी बनाना है। क्योंकि पैरोल /अंतरिम ज़मानत पर रिहा हुए बंदी, जो राज्य के विभिन्न क्षेत्रों या राज्य से बाहर रह रहे हैं, के दोबारा जेल में आने से बाकी कैदियों में कोविड -19 के संक्रमण फैलने का ख़तरा बढ़ेगा।

जि़क्रयोग्य है कि पंजाब गुड्ड कंडक्ट प्रजिऩरज़ (अस्थाई रिहाई) एक्ट -1962 में कोई ऐसा उपबंध नहीं जिसके द्वारा कैदियों की पैरोल को 16 हफ़्तों से बढ़ाया जा सके और संकटकालीन और महामारी के मुश्किल भरे समय के दौरान तिमाही आधार पर ली जाने वाली पैरोल की शर्तों को माफ किया जा सके।

पंजाब सब्स्टांस यूज डिसआरडर ट्रीटमेंट एंड रीहैबलीटेशन सैंटरज़ रूल

एक अन्य फ़ैसले में पंजाब मंत्रीमंडल की तरफ से इलाज में इस्तेमाल किये जाते पदार्थों, सलाह और फिर स्थापति केन्द्रों के नियमों -2011 में संशोधन के लिए मंजूरी दे दी गई है, जिससे स्वास्थ्य विभाग को निजी नशा छुड़ाओ केन्द्रों के द्वारा बपरेनारफिन -नैलोकसोन की बाँट को काबू में लाने और निजी मनोवैज्ञानिक केन्द्रों की तरफ से दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए निगरानी करने के योग्य बनाया जा सके।

नशीली दवाओं और पदार्थों सम्बन्धी एक्ट -1985 केंद्र की तरफ से इन नशीली दवाओं और पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए लाया गया था जिससे इन दवाओं और पदार्थों और इनके साथ जुड़े मसलों सम्बन्धी अंतर-राष्ट्रीय कनवैनशनों और इनके साथ जुड़े मसलों के उपबंधों को अमल में लाया जा सके और इन नशीले पदार्थों पर नकेल डालने के लिए सख़्त प्रबंध अमल में लाए जा सकें।

इस एक्ट की धारा -78 के अनुसार राज्य सरकार अधिकारित नोटिफिकेशन के ज़रिये इस एक्ट के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नियम बना सकती है। इस उपबंध को ध्यान में रखते पंजाब के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की तरफ से पंजाब सब्स्टांस यूज डिसआरडर ट्रीटमेंट एंड रीहैबलीटेशन सैंटरज़ रूल -2011 बनाऐ गए थे।

इंडस्ट्रियल डिसप्यूट एक्ट

पंजाब मंत्रालय की तरफ से इंडस्ट्रियल एक्ट -1947 के पाँचवे शड्यूल और धारा 2 ए, 25 के, 25 एन और 25 ओ के संशोधन को स्वीकृत करते हुये आर्डीनैंस को बिल में तबदील करने के लिए पंजाब विधान सभा के आगामी सैशन में पेश करने के लिए मंजूरी दे दी गई है। इस संशोधन के साथ चैप्टर -5 भी के अंतर्गत कामगारों की मौजूदा लागू सीमा को 100 से बढ़ा कर 300 करने की व्यवस्था हो जायेगी।

इसके अलावा अब अदारे के बंद होने या नौकरी से निकाले जाने की सूरत में कामगार 3 महीने के अतिरिक्त वेतन लेने के योग्य हो जाएंगे। यह कदम व्यापारिक गतिविधियों को आसानी से बनाने की प्रक्रिया में और सुधार लायेगा।

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कंट्रैक्ट लेबर (रैगूलेशन और ऐबोलिशन) एक्ट

कंट्रैक्ट लेबर (नियमित और समाप्ति) एक्ट -1970 की धारा-1 उप-धारा-4 सब क्लॉज ‘ए’ और ‘बी’ के संशोधन के लिए विधान सभा में पेश करने के लिए मंत्रीमंडल की तरफ से मंजूरी दे दी गई है जिससे इन उपबंधों के अंतर्गत कामगार की संख्या मौजूदा 20 से बढ़ कर 50 हो जायेगी।




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