डेली संवाद, जालंधर
आज करवा चौथ पर व्रत रखने वाली हर सुहागिन महिला चांद का दीदार करने का बेसब्री से इंतजार कर रही है। चांद देखने के बाद ही वह अपना व्रत तोड़ती है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि में किया जाता है। महिलाएं पति के मंगल एवं दीघार्यु की कामना के लिए निर्जला रहकर इस व्रत को रखती हैं। हरियाणा- रात 08 बजकर 08 मिनट पर। पंजाब – 08 बजकर 12 मिनट पर औऱ चंडीगढ़ में 08:09 बजे शाम को चांद का दीदार होगा।
चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा माना जाता है। आज करवाचौथ का व्रत अमृत सिद्धि योग एवं शिव योग में मनाया जा रहा है। ज्योतिषाचार्य पं.शिवकुमार शर्मा के अनुसार आज मृगशिरा नक्षत्र होने से अमृत सिद्धि योग बन रहा है। इस दिन 28 योगों में शिव योग आ रहा है। शिव का अर्थ होता है कल्याणकारी। ऐसे योग में करवाचौथ का व्रत सौभाग्यवती महिलाओं के पति की दीर्घायु देने वाला होता है।
तैयार कर लें अपनी पूजा की थाली
सुहागिनें अपनी अपनी पूजा की थाली तैयार कर लें। करवाचौथ पर विधि-विधान से पूजा करने से लाभ मिलता है। व्रत रखने वाली महिलाएं लाल कपड़े पहनकर शाम को करवाचौथ व्रत की कथा सुनें। इसके बाद भगवान गणेश जी, शिव, पार्वती की पूजा करें। गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं और फिर फूल चढ़ाएं। चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें। व्रत खोलने के बाद पति और बड़ों का आशीर्वाद लें। चांद आने से पहले अपनी पूजा की थाली भी सजा लें। इसमें सभी आवश्यक चीजें रख लें।
पूजा की थाली में छलनी, आटे का दीया, फल, ड्राईफ्रूट, मिठाई और दो पानी के लोटे होने चाहिए। एक लोटे से चंद्रमा को अर्घ्य दें और दूसरे लोटे के पानी से व्रत खोलें। पूजा की थाली में माचिस न रखें। चुन्नी को ओढ़कर चंद्रमा को अर्घ्य दें। छलनी में दीया रखकर चंद्रमा को उसमें से देखें, फिर उसी छलनी से तुरंत अपने पति को देखें। पूजा के बाद चांद को देखकर पहले आप अपने पति को पानी पिलाएं। इसके बाद पति के हाथ से पानी पिएं और मिठाई से अपना व्रत पूरा करें। इसके बाद आप बायना (खाना और कपड़े) निकालकर अपने बड़ों को दें और फिर खाना खाएं।
पति की विजय के लिए रखा जाता था करवाचौथ का व्रत
सुहागिन स्त्रियों द्वारा पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत और फिर चांद देखकर व्रत तोड़ने की परम्परा में अब पति भी बराबर के भागीदार बन रहे है और खुशहाल दाम्पत्य जीवन की कामना के साथ कई पुरूष भी अपनी जीवन संगिनी के साथ व्रत रखते है। आज यह पति-पत्नी के बीच के सामंजस्य और रिश्ते की ऊष्मा से दमक और महक रहा है। आधुनिक दौर भी इस परंपरा को डिगा नहीं सका है बल्कि इसमें अब ज्यादा संवेदनशीलता, समर्पण और प्रेम की अभिव्यक्ति की गहराई दिखाई देती है।
ज्योतिषाचार्य ब्रह्मदेव शुक्ला के मुताबिक, इस साल चतुर्थी बुधवार को पड़ने से भगवान गणेश की पूजा करना फलदायी होगा। महिलाएं इस दिन अखंड सौभाग्य की कामना कर व्रत रखती हैं। मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी चन्द्रमा हैं। राशि के स्वामी शुक्र और बुध हैं। इसलिये बुधवार को दिनभर सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।
करवा चौथ पूजा मुहूर्त
पूजा समय शाम – शाम 6:04 से रात 7:19। उपवास समय सुबह – शाम 6:40 से रात 8:52। चौथ तिथि – सुबह 3:24 से 5 नवंबर सुबह 5:14 तक। इस दिन चंद्र के साथ ही गणेशजी, शिव-पार्वती की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। गणेशजी को दूर्वा, जनेऊ सहित अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। भोग लगाएं। दीपक जलाकर आरती करें। गणेशजी के मंत्र ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करें। शिवजी और पार्वती की पूजा में ऊँ उमामहेश्वराय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र से शिवजी और माता पार्वती का ध्यान हो जाता है।