डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News, Fake registry for NOC busted in Jalandhar Municipal Corporation: नगर निगम के बिल्डिंग ब्रांच में फैले करप्शन को उजागर करने वाले अफसर को ही बदल दिया गया। जबकि करप्शन करवाने वाले आर्किटैक्ट सैनी एसोसिएट्स और बिल्डिंग ब्रांच का नैक्सेस औऱ मजबूत हो गया है।
हालत यह है कि एक सप्ताह बीतने के बाद फर्जी तरह से जारी की गई एनओसी को भी नगर निगम रद्द नहीं कर सका है। इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि एनओसी माफिया की जड़ें निगम में कितनी मजबूत हैं।
डेली संवाद ने गत दिनों नगर निगम में फर्जी एनओसी के खेल का भंडाफोड़ किया था। आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने अवैध कालोनियों पर सख्ती करते हुए बिना एनओसी वाले प्लाटों की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी है, इसके बाद बाद तहसील और निगम दफ्तर में फर्जी एनओसी और प्लाट की रजिस्ट्री में टैंपरिंग करने का खेल शुरू हुआ। इस खेल का मास्टर माइंड निगम का ही एक अधिकारी है।
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सूत्र बता रहे हैं कि शहर के तमाम आर्कीटेक्ट निगम के इसी मास्टर माइंड से फर्जी तरीके से एनओसी बनवाते हैं। पिछले दिनों नगर निगम के हैड ड्राफ्ट्समैन ने एक ऐसा नक्शा पकड़ा, जिसे पास करवाने के लिए रजिस्ट्री की कापी 2020 की लगाई गई थी, जबकि एनओसी के लिए रजिस्ट्री की कापी 2017 की थी। इस जालसाजी को पकड़ने के बाद इसकी रिपोर्ट उन्होंने एसटीपी, एमटीपी, मेयर और कमिश्नर को दी।
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नगर निगम की ज्वाइंट कमिश्नर गुरविंदर कौर रंधावा ने इसकी जांच एसटीपी परमपाल सिंह और एसटीपी मोनिका आनंद को सौंपी। लेकिन अभी तक इसकी जांच रिपोर्ट नहीं आई। हैरानी की बात तो यह है कि अभी तक फर्जी तरीके से जारी एनओसी को भी रद्द नहीं किया गया, जिससे इस नैक्सेस की मजबूती का अंदाजा लगाया जा सकता है।
हैरानी की बात तो यह है कि स्कैम चलाने वाले सैनी एसोसिएट्स पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गईस, जबकि इस धांधली को उजागर करने वाले हेड ड्राफ्ट्समैन को ही बदल दिया गया। उक्त हेड ड्राफ्ट्समैन को बिल्डिंग ब्रांच से बदलकर बीएंडआर ब्रांच में भेज दिया, जिससे कि इस धांधली को दबाया जा सके।
स्टांप पेपर नंबर D 600402 पर फ्राड
जानकारी के मुताबिक नगर निगम से एनओसी हासिल करने के लिए मंजीत सिंह ने जो रजिस्ट्री की कापी लगाई, उसकी रजिस्ट्री तहसील से सितंबर 2017 में करवाई गई थी। स्टांप पेपर नंबर D 600402 पर लिखी गई रजिस्ट्री में पाल नामक व्यक्ति ने आबादी पिंड सुभाना, तहसील जालंधर में प्लाट नंबर 95 रकबा 3 मरले 64 वर्गफुट रिहाइशी की जमीन मंजीत सिंह के नाम पर रजिस्ट्री की है।
इस रजिस्ट्री की कापी को मंजीत सिंह ने नगर निगम से एनओसी हासिल करने लिए फाइल जमा करवाई। इसके बाद नक्शा पास करवाने के लिए मंजीत सिंह ने जो रजिस्ट्री लगाई, वह रजिस्ट्री सितंबर 2020 में हुई। हैरानी की बात तो यह है सितंबर 2020 की रजिस्ट्री में भी स्टांप पेपर नबर D 600402 है, इस पर हूबहू वही बातें लिखी हैं, जो 2017 की रजिस्ट्री में दर्ज है।
नक्शा पास करने के लिए 2020 की रजिस्ट्री लगाई
नगर निगम में जब नक्शा पास करवाने के लिए साल 2020 वाली रजिस्ट्री लगाई गई तो, इस अप्लीकेशन के साथ एनओसी का नंबर भी दर्ज किया गया था। एनओसी के नंबरों की जांच हुई तो रजिस्ट्री कोई और निकली। रजिस्ट्री एक ही व्यक्ति और एक ही जगह की थी, लेकिन दोनों रजिस्ट्रियों में तारीख का अंतर था। जिससे इस नक्शे को रोक लगा दिया गया और इसकी जानकारी मेयर और कमिश्नर को दी गई।
मेयर जगदीश राजा ने इसकी जांच के लिए ज्वाइंट कमिश्नर गुरविंदर कौर रंधावा को आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि इसकी जांच एक सप्ताह में करके रिपोर्ट दें। मेयर जगदीश राजा ने कहा है कि जांच के आदेश गए हैं। अगर निगम दफ्तर से कोई गलत एनओसी जारी की गई तो सीधे तौर पर बिल्डिंग ब्रांच जिम्मेदार होंगे।
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