डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: केन्द्रीय शिक्षा राज्य मन्त्री डॉ० सुभाष सरकार ने कहा है कि आज देश आजादी का 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है। ऐसे में भारत की आज़ादी के महानायक सुभाषचंद्र बोस के जीवन से जुड़े तथ्यों को जानना अत्यन्त आवश्यक है। नेताजी की जीवन गाथा आने वाली पीढ़ियों के लिए ऊर्जा स्रोत साबित होगा। नेताजी का जीवन, उनके कार्य, एवं भारतीय स्वतंत्रता में उनके योगदान से जुड़े तथ्य शोध का विषय हैं जिससे इतिहास के गर्त में छुपे महत्वपूर्ण तथ्यों से हम सभी परिचित हो सकें।
आजाद हिन्द फ़ौज की गठन की बात हो या फिर आजाद हिन्द सरकार के रूप में स्वतन्त्र भारत की साकार परिकल्पना, नेताजी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नेताजी के स्वतन्त्र भारत में जाति, धर्म, लिंग एवं पंथ से जुड़े किसी भी भेदभाव की कोई जगह नहीं थी। केन्द्रीय शिक्षा राज्य मन्त्री डॉ० सुभाष सरकार, भारतीय शिक्षण मण्डल एवं रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में ‘सुभाष- स्वराज -सरकार’ विषयक पोस्टर लोकार्पण एवं शोध पत्र लेखन प्रतियोगिता के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्य अतिथि थे।
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डॉ० सरकार ने विश्वास के साथ कहा कि ‘सुभाष-स्वराज-सरकार’ विषयक शोध लेखन प्रतियोगिता नेताजी से जुड़े विविध पक्ष को सामने लाने में महत्वपूर्ण होगी। शिक्षा में मानव निर्माण एवं चरित्र निर्माण की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा की प्राचीन परम्परा को पुनरजीवित करने का प्रयास है।
मुख्य अतिथि ने आगे कहा कि वर्तमान सरकार नेताजी के स्वतन्त्र भारत को गढ़ने के लिए प्रयासरत है। नेताजी के जीवन को जन-जन तक पहुँचाने हेतु चार संग्रहालयों की शुरुआत, गणतंत्र दिवस समारोह को 23 जनवरी से शुरू करने सहित नेताजी से जुड़ी विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी दी।
विश्वविद्यालय के योगदान पर भी प्रकाश डाला
अध्यक्षता करते हुए जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो० शांतिश्री धुलिपुड़ी पण्डित ने कहा कि नेताजी भारतीय स्वतंत्रता के अग्रदूत थे, उनसे बड़ा क्रान्तिकारी नहीं हुआ है। ऐसे प्रासंगिक विषय पर ‘शोध लेखन’ से इतिहास में छुपे हुए उन महत्वपूर्ण तथ्यों को सामने लाने में मदद मिलेगी जिन्हें किसी कारणवश इतिहास में जगह नहीं मिली। उन्होंने भारत के समग्र विकास में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के योगदान पर भी प्रकाश डाला।
मुख्य वक्ता प्रो० सच्चिदानन्द जोशी ने कहा कि भारत के इतिहास को भारत की दृष्टि से देखने का प्रारम्भ ‘सुभाष-स्वराज-सरकार’ अभियान से होगा। हम सुभाष के माध्यम से आने वाले भारत का सपना देख सकते हैं। ‘सुभाष’ भविष्योन्मुखी भारत का विषय है, राष्ट्र के प्रति समर्पण का पर्याय हैं सुभाष। नेताजी का जीवन भारत को देखने की दृष्टि देता है।
नेताजी के व्यक्तित्व का सही आंकलन
सुभाष जी का व्यक्तित्व शोध से अछूता है, नेताजी के व्यक्तित्व का सही आंकलन नहीं किया गया। भारत में इतिहास लेखन की सही दृष्टि की आवश्यकता है। नेताजी के साथ इतिहासकारों ने न्याय नहीं किया है एवं इतिहास के गर्त में नेताजी से जुड़े अनेकों तथ्य दबा दिये गये। प्रो० जोशी ने आगे कहा कि यदि नेताजी स्वतन्त्र भारत के पहले प्रधानमंत्री होते तो भारत का स्वरुप अलग ही होता।
नेताजी भारत का पूरा परिदृश्य बदलने की दृष्टि रखते थे, भारत की एकात्मकता का जो नक्शा नेताजी ने बनाया था उसमें भारत का स्वरुप बिल्कुल अलग था। विषय प्रवर्तन डॉ० नीता बाजपाई ने एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो० रवि प्रकाश टेकचन्दानी ने किया। इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मण्डल के अखिल भारतीय संगठन मन्त्री मुकुल कानिटकर, सह संगठन मन्त्री शंकरानन्द, गजराज डबास, गणपति तेति, कश्यप दूबे, अमित रावत आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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