Smart City Jalandhar: जालंधर स्मार्ट सिटी में करप्शन की जांच सुस्त, 1000 करोड़ में धांधली के आरोप लगाने वाले MLA, मेयर और पार्षद भी मौन?

Daily Samvad
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डेली संवाद, जालंधर। Smart City Jalandhar: स्मार्ट सिटी जालंधर के नाम पर 1000 करोड़ रुपए से हुए विकास कामों में करप्शन को लेकर शुरू हुई विजीलैंस जांच सुस्त पड़ गई है। स्थिति यह है कि स्मार्ट सिटी में करोड़ों रुपए की धांधली का आऱोप लगाने वाले विधायक, मेयर और पार्षद सभी भी मौन हो गए हैं। जिससे स्मार्ट रोड बनाने से लेकर पार्कों के नाम पर डकारे गए करोड़ों रुपए की जांच ठंडे बस्ते में चली गई है।

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जानकारी के मुताबिक विजीलैंस ब्यूरो की टीम पूरी तरह से स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट की जांच ही नहीं कर रही है। विजीलैंस ब्यूरो के अफसर भी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। AAP की सरकार बनने के बाद जिस तरह से विधायकों ने स्मार्ट सिटी में धांधली के आऱोप लगाकर काम बंद करवा दिया था, तब लगा था कि करोड़ों रुपए की धांधली करने वाले जेल जाएंगे। लेकिन कुछ महीने में ही कट्टर इमानदार की सरकार होने का दम भरने वाली AAP के नेता भी पिछली सरकारों की तरह मौन हो गए हैं।

हालांकि कहा जा रहा है कि नगर निगम की 80 शिकायतों की स्थानीय निकाय विभाग की विजिलेंस के चीफ विजिलेंस अफसर (सीवीओ) राजीव सेखड़ी वेरिफिकेशन में जुट चुके हैं। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिसंबर में जांच के लिए टीम आएगी। बिल्डिंग ब्रांच की सबसे ज्यादा शिकायतें हैं जिसमें बैक डेट में एनओसी, नक्शा और सीएलयू जारी करने में खेल हुआ है।

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विधायकों की सख्ती के बाद पूर्व सीईओ दविंदर सिंह ने जांच की तो पता चला कि सरफेस वाटर प्रोजैक्ट में रोड कंस्ट्रक्शन का काम एक ऐसे इंडस्ट्रयलिस्ट को सौंपा गया, जिसके पास इस काम का कोई अनुभव नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि स्मार्ट सिटी के पूर्व सीईओ करणेश शर्मा, प्रोजैक्ट हेड कुलविंदर सिंह ने एक पाइप फिंटिंग की इंडस्ट्री चलाने वाले उद्योगपति को रोड बनाने का काम सौंपा।

इसके बाद ये मामला ठंडा पड़ गया। स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट के तहत करोड़ों रुपए के रोड बनाने वाले इंडस्ट्रियलिस्ट्स की जांच बंद हो गई है। विजीलैंस के साथ साथ स्मार्ट सिटी के सीईओ ने भी जांच बंद कर दिया, जिससे करोड़ों रुपए से बनी सड़क में हुई धांधली के लिए जिम्मेदारों पर कार्ऱवाई बीच में अटक गई।

सूत्रों के मुताबिक बीएंडआर, ओएंडएम, हेल्थ विभाग जांच के जद में हैं। बीएंडआर में सड़क निर्माण की गुणवत्ता व टेंडर अलॉटमेंट और ओएंडएम में मशीनों की खरीद व टेंडर अलॉट करने में भी बड़ा हेरफेर होने की जानकारी है। बावजूद इसके विजिलेंस की टीम जांच में तेजी ही नहीं ला रही है।

इन कामों में होगी जांच

विजिलेंस ने जुलाई से स्मार्ट सिटी के 60 प्रोजेक्टों की जांच शुरू की है। इसमें बायाेमाइनिंग, स्मार्ट राेड, सरफेस वाटर, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, फ्लाईओवर का साैंदर्यीकरण, एलईडी लाइट आदि के दस्तावेजों की जांच कर रही है। कहा जा रहा है कि अब टेक्निकल जांच के लिए मंजूरी मिलते ही एक्सईएन और एसई स्तर के अधिकारी से पूछताछ होगी। कमेटी दस्तावेजों की जांच, ग्राउंड पर काम की गुणवत्ता, फाइनेंशियल और एग्रीमेंट की शर्तों के हिसाब से काम की हकीकत जानेगी।

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