Maa Kushmanda: मां कूष्मांडा देवी की पूजाविधि और जाने उनके मंत्र के बारे में

Daily Samvad
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डेली संवाद, चंडीगढ़। Maa Kushmanda: मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। मां कुष्मांडा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।

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मान्‍यता है कि जो मनुष्‍य सच्‍चे मन से और संपूर्ण विधिविधान से मां की पूजा करते हैं, उन्‍हें आसानी से अपने जीवन में परम पद की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि मां की पूजा से भक्‍तों के समस्‍त रोग नष्‍ट हो जाते हैं। मां कूष्‍मांडा को अष्‍टभुजाओं वाली देवी भी कहा जाता है। उनकी भुजाओं में बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल सजे हैं।

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वहीं दूसरी भुजा में वह सिद्धियों और निधियों से युक्‍त माला धारण किए हुए हैं। मां कूष्‍मांडा की सवारी सिंह है। संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं। कुम्हड़ पेठा होता है कि जो कि भोग के रूप में मां कूष्‍मांडा को बेहद प्रिय माना जाता है।

मां कूष्‍मांडा का मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां कूष्‍मांडा की पूजाविधि

प्रात: स्‍नान से निवृत्‍त होने के बाद मां दुर्गा के कूष्‍मांडा रूप की पूजा करें। पूजा में मां को लाल रंग का पुष्‍प, गुड़हल, या फिर गुलाब अर्पित करें। इसके साथ ही सिंदूर, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं। मां की पूजा आप हरे रंग के वस्‍त्र पहनकर करें तो अधिक शुभ माना जाता है। इससे आपके समस्‍त दुख दूर होते हैं।















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