Maa Mahagauri: कौन हैं मां महागौरी, जानिए इनके बारे में

Daily Samvad
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डेली संवाद, चंडीगढ़। Maa Mahagauri: माँ महागौरी दुर्गा (Maa Mahagauri) मां का आठवां स्वरूप हैं। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि मां का वर्ण गौर है। मां की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी जाती है। मां के सभी वस्त्र और आभूषण सफेद हैं। मान्यता है कि अष्टवर्षा भवेद् गौरी यानी मां की आयु 8 वर्ष की मानी गई है। यही कारण है कि इन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है।

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मां की 4 भुजाएं हैं। मां का वाहन वृषभ है। अत: मां को वृषारूढ़ा भी कहा गया है। मां महागौरी की 4 भुजाएं हैं। मां के ऊपर वाला दाया हाथ अभय मुद्र में है। मां के नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे वाला बायां हाथ वर मुद्रा में है। मां बेहद ही शांत मुद्रा में हैं। मां भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थीं जिसके चलते इन्होंने बेहद कठोर तपस्या की थी।

महागौरी स्तुति Mahagauri Stuti By Anuradha Paudwal I Navdurga Stuti

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यही कारण है कि मां का शरीर इतनी कठोर तपस्या से काला पड़ गया था। फिर मां ने अपने काले रंग को गौर वर्ण का करने के लिए तपस्या की। मां की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उनके वर्ण को कांतिमय बना दिया। इससे मां का रूप फिर से गौर हो गया। यही कारण है कि मां के इस रूप को महागौरी कहा जाता है।

मां महागौरी अमोघ फलदायिनी हैं। मां की पूजा करने से भक्तों कें कल्मष धुल जाते हैं। साथ ही सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं। सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से अगर महागौरी की पूजा-अर्चना, उपासना-आराधना की जाए तो यह बेहद कल्याणकारी होता है। मां की कृपा अपने भक्तों पर हमेशा ही बनी रहती है और इनकी कृपा से ही भक्तों को अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं।

पूजन विधि

सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर माता महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।

चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।

इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता महागौरी सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।

इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, – नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

अगर आपके घर अष्‍टमी पूजी जाती है तो आप पूजा के बाद कन्याओं को भोजन भी करा सकते हैं। ये शुभ फल देने वाला माना गया है।

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