Maa Brahmacharini: कौन है मां ब्रह्मचारिणी, जाने इनके बारे में

Daily Samvad
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डेली संवाद, चंडीगढ़। Maa Brahmacharini: मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) भक्तों और साधकों को अनन्तफल देने वाला माना जाता है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। मान्‍यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।

दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्‍थापित होता है। इस चक्र में अवस्थित मनवाला योगी समान बन कर माता की कृपा और भक्ति का आर्शिवाद प्राप्त करता है। मां का ये रूप तपस्विनी का है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है, तप का आचरण करने वाली।

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इनका स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है। मां ब्रह्मचारिणी अपने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं और श्वेत वस्त्र पहनती हैं। इनकी पूजा के दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है। मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर में पुत्री रूप में लिया था। तब देवर्षि नारद के उपदेश से इन्होंने भगवान शंकर को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी।

 

इस दुष्कर तपस्या के कारण इन्हें तपस्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। कथा के अनुसार एक हज़ार वर्ष उन्होंने केवल फल, मूल खाकर व्यतीत किए और सौ वर्षों तक केवल शाक पर निर्वाह किया था। कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखते हुए देवी ने खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के भयानक कष्ट भी सहे।















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