डेली संवाद, चंडीगढ़। Baisakhi 2023: बैसाखी (Baisakhi) का त्योहार वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इसे वैसाखी या बैसाखी के नाम से भी जाना जाता है। हर साल बैसाखी का त्यौहार 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है।
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इस त्योहार को पंजाब और हरियाणा में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बैसाखी के कई अलग-अलग नाम हैं। इसे असम में बिहू, बंगाल में नबा वर्षा, केरल में पूरम विशु कहते हैं. बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं।
बैसाखी का महत्व
इस महीने में रबी की फसल पककर पूरी तरह से तैयार हो जाती है और उनकी कटाई भी शुरू हो जाती है। इसीलिए बैसाखी को फसल पकने और सिख धर्म की स्थापना के रूप में मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। तभी से बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन से सिखों के नए साल की शुरुआत होती है।
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कैसे मनाया जाता है बैसाखी का त्योहार?
बैसाखी के दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है। सिख समुदाय के लोग गुरुवाणी सुनते हैं। घरों में भी लोग इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। खीर, शरबत आदि पकवान बनाए जाते हैं। इस दिन शाम के समय घर के बाहर लकड़ियां जलाई जाती हैं। जलती हुई लकड़ियों का घेरा बनाकर गिद्दा और भांगड़ा कर अपनी प्रसन्नता जाहिर करते हैं। लोग गले लगकर एक दूसरे को बैसाखी की शुभकामनाएं देते हैं।
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