डेली संवाद, वाराणसी (अजय सिंह)। Raksha Bandhan: रक्षा बंधन आज या कल, इसे लेकर देश में अलग अलग धारणाएं बन गई हैं। कई हिस्सों में रक्षाबंधन आज भी है, तो कई हिस्सों में रक्षाबंधन कल मनाया जाएगा। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व श्रावण (सावन) पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस कारण इसे श्रावणी या रक्षाबंधन कहते हैं।
श्रावण पूर्णिमा इस बार दो दिन 30 व 31 अगस्त को मिल रही, लेकिन पहले दिन सुबह से भद्रा व दूसरे दिन छह घटी (2.24 घंटा) से कम समय तक ही पूर्णिमा मिल रही है। अत: पर्व भद्रा काल खत्म होने पर पूर्णिमा में 30 अगस्त की रात नौ बजे से मनाया जाएगा।
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बीएचयू में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार पूर्णिमा 30 अगस्त को सुबह 10.21 बजे लग रही जो 31 अगस्त की सुबह 7.45 बजे तक रहेगी। पहले दिन 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि लगने के साथ भद्राकाल शुरू हो जा रहा है, जो रात नौ बजे तक रहेगा।
वहीं, 31 को पूर्णिमा छह घटी से कम मिल रही। इससे 30 अगस्त को रात नौ बजे के बाद ही रक्षाबंधन पर्व मनाना धर्मशास्त्र अनुकूल है। धर्मसिंधु एवं निर्णय सिंधु आदि ग्रंथों के अनुसार पूर्णिमा का मान दो दिन प्राप्त हो रहा हो और प्रथम दिन सूर्योदय के एकादि घटी के बाद पूर्णिमा का आरंभ होकर द्वितीय दिन पूर्णिमा छह घटी से कम प्राप्त हो रही हो तो पूर्व दिन भद्रा से रहित काल में रक्षाबंधन करना चाहिए।
वहीं ‘इदं प्रतिपद् युतायां न कार्यम’ वचन अनुसार पूर्णिमा यदि प्रतिपदा से युक्त होकर छह घटी से न्यून हो तो उसमें रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए। अतः 30 अगस्त को ही रात्रि में भद्रा काल के बाद रक्षाबंधन शास्त्र सम्मत है, क्योंकि ऐसी स्थिति में रात्रिकाल में भी रक्षाबंधन का विधान है।
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रक्षाबंधन की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति का निवारण देते हुए काशी के विद्वतजन का कहना है कि पूर्णिमा की स्थिति एवं सूक्ष्म मान को आधार बना कर धर्मशास्त्रीय वचनों का आश्रय लेते हुए 30 अगस्त की रात नौ बजे के बाद भद्रा मुक्त पूर्णिमा में ही रक्षाबंधन उचित है।