डेली संवाद, जालंधर। Shardiya Navratri 2023: नवरात्र का आज आठवां दिन है। शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि पर जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। साधक मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु अष्टमी तिथि पर निर्जला या फलाहार उपवास रखते हैं।
मार्कंडेय पुराण में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की महिमा का गुणगान और बखान किया गया है। धार्मिक मत है कि मां दुर्गा की उपासना करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। अतः साधक विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा करते हैं।
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ज्योतिषियों की मानें तो शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि पर रवि योग समेत 5 शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में मां दुर्गा की साधना करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
नवरात्र की षष्ठी तिथि 22 अक्टूबर को संध्याकाल 07 बजकर 58 मिनट तक है। इसके पश्चात, नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। साधक दिन भर श्रद्धा भाव से जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। मां दुर्गा की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साधक दिन भर मां की उपासना और साधना कर सकते हैं।
सर्वार्थ सिद्धि योग
नवरात्र की अष्टमी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 06 बजकर 26 मिनट से लेकर संध्याकाल 06 बजकर 44 मिनट तक है। इसके बाद रवि योग को निर्माण हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग में मां दुर्गा की उपासना करने से साधक को सभी शुभ कामों में सिद्धि प्राप्त होती है। इस योग में शुभ कार्य कर सकते हैं।
रवि योग
नवरात्र की अष्टमी तिथि पर रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 06 बजकर 44 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 26 मिनट तक है। इस योग में शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही मां की पूजा आराधना भी कर सकते हैं। धार्मिक मत है कि रवि योग में जगत जननी आदि शक्ति मां दुर्गा की साधना करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
करण
शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि पर सर्वप्रथम बव करण का निर्माण हो रहा है। बव करण का निर्माण संध्याकाल 07 बजकर 58 मिनट तक है। इसके बाद बालव करण का निर्माण हो रहा है, जो रात भर है। ज्योतिष बव और बालव करण को शुभ मानते हैं। इस योग में मां की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
- सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 26 मिनट पर
- सूर्यास्त – शाम 17 बजकर 45 मिनट पर
- चंद्रोदय– दिन 01 बजकर 37 मिनट पर
- चंद्रास्त- देर रात 12 बजकर 07 मिनट पर
पंचांग
- ब्रह्म मुहूर्त – 04 बजकर 45 मिनट से 05 बजकर 35 मिनट तक
- विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 59 मिनट से 2 बजकर 44 मिनट तक
- अभिजित मुहूर्त– सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर 12 बजकर 28 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 45 मिनट से 06 बजकर 10 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
अशुभ समय
- राहु काल – संध्याकाल 04 बजकर 20 मिनट से 05 बजकर 45 मिनट तक
- गुलिक काल – दोपहर 02 बजकर 55 मिनट से 04 बजकर 20 मिनट तक
- दिशा शूल – पश्चिम