डेली संवाद, जालंधर। Shani Dev 108 Names: आज शनिवार है। सनातन धर्म में शनिवार को शनि देव की पूजा का खास महत्व है। शनिवार का दिन भगवान शनि की पूजा के लिए समर्पित है। जो जातक शनिवार के दिन शनि देव की पूजा-अर्चना भक्तिभाव के साथ करते हैं, उनका घर खुशियों से भरा रहता है।
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शनि देव की पूजा शाम के समय ज्यादा शुभ मानी जाती है। इसलिए शाम के समय पीपल वृक्ष के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। फिर शनि देव के 108 नाम का जाप करें। यदि कोई 8 शनिवार लगातार ऐसा करता है, तो उसके ऊपर शनिदेव अपनी पूरी कृपा बनाएं रखते हैं।
भगवान शनि के 108 नाम
शनैश्चर :
शांत :
सर्वाभीष्टप्रदायिन् :
शरण्य :
वरेण्य :
सर्वेश :
सौम्य :
सुरवन्द्य :
सुरलोकविहारिण् :
सुखासनोपविष्ट :
सुन्दर :
घन :
घनरूप :
घनाभरणधारिण् :
घनसारविलेप :
खद्योत :
मंद :
मंदचेष्ट :
महनीयगुणात्मन् :
मर्त्यपावनपद :
महेश :
छायापुत्र :
शर्व :
शततूणीरधारिण् :
चरस्थिरस्वभाव :
अचञ्चल :
नीलवर्ण :
नित्य :
नीलाञ्जननिभ :
नीलाम्बरविभूषण :
निश्चल :
वैद्य :
विधिरूप :
विरोधाधारभूमि :
भेदास्पद स्वभाव :
वज्रदेह :
वैराग्यद :
वीर :
वीतरोगभय :
विपत्परम्परेश :
विश्ववंद्य :
गृध्नवाह :
गूढ़ :
कूर्मांग :
कुरूपिण् :
कुत्सित :
गुणाढ्य :
गोचर :
अविद्यामूलनाश :
विद्याविद्यास्वरूपिण् :
आयुष्यकारण :
आपदुद्धर्त्र :
विष्णुभक्त :
वशिन् :
विविधागमवेदिन् :
विधिस्तुत्य :
वंद्य :
विरुपाक्ष :
वरिष्ठ :
गरिष्ठ :
वज्रांगकुशधर :
वरदाभयहस्त :
वामन :
ज्येष्ठापत्नीसमेत :
श्रेष्ठ :
मितभाषिण् :
कष्टौघनाशकर्त्र :
पुष्टिद :
स्तुत्य :
स्तोत्रगम्य :
भक्तिवश्य :
भानु :
भानुपुत्र :
भव्य :
पावन :
धनुर्मण्डलसंस्था :
धनदा :
धनुष्मत् :
तनुप्रकाशदेह :
तामस :
अशेषजनवंद्य :
विशेषफलदायिन् :
वशीकृतजनेश :
पशूनांपति :
खेचर :
घननीलांबर :
काठिन्यमानस :
आर्यगणस्तुत्य :
नीलच्छत्र :
नित्य :
निर्गुण :
गुणात्मन् :
निंद्य :
वंदनीय :
धीर :
दिव्यदेह :
दीनार्तिहरण :
दैन्यनाशकराय :
आर्यजनगण्य :
क्रूर :
क्रूरचेष्ट :
कामक्रोधकर :
कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारण :
परिपोषितभक्त :
परभीतिहर :
भक्तसंघमनोऽभीष्टफलद :
निरामय :
शनि :
अच्छे जीवन के लिए शनि देव का मंत्र
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।
शनि देव जी का वैदिक मंत्र
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
शनि पूजन मंत्र
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
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