Kailash : कैलाश दर्शन की आस पूरी! 15 सितंबर से खुल रहा लिपुलेख दर्रा, जानिए पूरी जानकारी

Muskan Dogra
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डेली संवाद, उत्तराखंड | Kailash : कैलाश पर्वत के दर्शन की ललक रखने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से जरूरी लिपुलेख दर्रा 15 सितंबर से आम जनता के लिए खुल जाएगा। कोरोना महामारी के चलते साल 2019 से बंद पड़े इस रास्ते के खुलने की घोषणा से कैलाश यात्रा का सपना संजोने वाले श्रद्धालुओं में खुशी की लहर दौड़ गई है।

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Kailash लिपुलेख दर्रा का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

हिमालय की ऊंची चोटियों के बीच स्थित लिपुलेख दर्रा न सिर्फ भारत को तिब्बत और नेपाल से जोड़ता है, बल्कि सदियों से कैलाश मानसरोवर यात्रा का प्रमुख मार्ग भी रहा है। हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म में कैलाश पर्वत को विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास माना जाता है और हर साल हजारों श्रद्धालु इसकी परिक्रमा करने के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा का हिस्सा बनते हैं।

Kailash दर्शन का नया रास्ता

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चीन की तरफ से कैलाश तक का रास्ता अभी भी बंद है। लेकिन, इस बार श्रद्धालुओं को निराश होने की जरूरत नहीं है। भारत सरकार की अनुमति के बाद उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने लिपुलेख दर्रे को खोलने का फैसला किया है। भले ही चीन की सीमा पार न जा पाएं, लेकिन श्रद्धालु लिपुलेख दर्रे तक भारतीय सीमा में ही यात्रा कर कैलाश पर्वत के दर्शन का सुअवसर प्राप्त कर सकते हैं।

कैसे करें लिपुलेख दर्रे से कैलाश दर्शन?

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  • धारचूला से श्रद्धालु सितंबर मध्य से ही अपनी गाड़ियों में लिपुलेख दर्रे तक पहुंच सकेंगे।
  • वहां से करीब 800 मीटर की थोड़ी सी ट्रैकिंग के बाद कैलाश पर्वत का मनमोहक दृश्य देखने को मिलेगा।
  • हालाँकि, यह कैलाश मानसरोवर यात्रा का पूरा अनुभव नहीं है, लेकिन कैलाश पर्वत के दर्शन का सुअवसर जरूर है।

उत्तराखंड पर्यटन विभाग की तैयारियां

श्रद्धालुओं की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए उत्तराखंड पर्यटन विभाग पूरी तरह तैयार है। जिलाधिकारी रीना जोशी के नेतृत्व में विभाग मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) तैयार कर रहा है। इन प्रक्रियाओं में रास्ते की व्यवस्था, सुरक्षा का इंतजाम, पर्यावरण संरक्षण के नियम आदि शामिल होंगे।

लिपुलेख दर्रा खुलने के मायने

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लिपुलेख दर्रे का खुलना सिर्फ कैलाश दर्शन का अवसर ही नहीं है, बल्कि उत्तराखंड पर्यटन के लिए भी मील का पत्थर साबित हो सकता है। इससे न सिर्फ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य को देखने के लिए भी पर्यटकों की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है।

तो कैलाश दर्शन का सपना संजोने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह सुनहरा अवसर है। सितंबर का महीना आते ही लिपुलेख दर्रे के रास्ते कैलाश पर्वत के दर्शन का सुअवसर प्राप्त किया जा सकता है।

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